'पहले की बेटी की जमकर पिटाई, फिर खुद ही अस्पताल ले गया बाप', जानिए पूरा मामला
'पहले की बेटी की जमकर पिटाई, फिर खुद ही अस्पताल ले गया बाप', जानिए पूरा मामला
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समस्तीपुर: बिहार के समस्तीपुर से एक दर्दनाक घटना सामने आई है यहाँ एक पिता ने पैसे चोरी कर लेने के शक में अपने 6 वर्षीय बेटी की बेरहमी से पिटाई कर दी। इससे उसका पैर टूट गया एवं शरीर पर गंभीर चोटें भी आईं। पिटाई की दर्द से छोटी बच्ची दर्द से कराह रही थी। अपनी गलती का एहसास होने के पश्चात् अपनी बेटी को 41 किलोमीटर ठेला चलाकर पिता ने चिकित्सालय पहुंच गया। सदर चिकित्सालय के चिकित्सकों ने बेहतर उपचार के लिए बच्ची को डीएमसीएच रेफर कर दिया है। दरअसल, पटोरी थाना क्षेत्र के उतरी धमौन गांव में छह वर्षीय बेटी के द्वारा रुपया चुरा लेने और घर से बाहर चले जाने पर मंटुन राय नामक एक पिता को अपनी बेटी पर इतना अधिक गुस्सा आया कि वह अपना आपा खो दिया और बेटी की बेरहमी से पिटाई की। इतना ही नहीं बच्ची के पैर को मरोड़ दिया, जिससे उसका पैर टूट गया। चेहरे पर पिटाई के गहरे जख्म भी दिखाई दे रहे थे। 

हालांकि जब बच्ची घर मे दर्द से कराहने लगी तथा पिता का गुस्सा शांत हुआ तो उसे अपने गलती का एहसास हुआ। फिर पिता अपनी बेटी को लेकर पटोरी के चिकित्सालय में उपचार के लिए पहुंच गया। चिकित्सकों ने बच्ची की गंभीर हालत को देखते हुए उसे सदर चिकित्सालय रेफर कर दिया। पिता अपनी बेटी का उपचार करवाने के लिए 41 किलोमीटर ठेला चलाकर सदर चिकित्सालय पहुंच गया। हुआ यूं कि जब पटोरी में डॉक्टरों ने बेहतर उपचार के लिए सदर चिकित्सालय रेफर किया तो सदर चिकित्सालय ले जाने के लिए एम्बुलेंस वाले रुपए की मांग कर दी।

दरअसल, ठेला चलाकर मजदूरी करने वाले मंटुन राय के पास उतना रुपया नहीं था। पिता मंटुन राय अपनी बेटी का उपचार कराने के लिए एक बोरा गेहूं ठेला पर लादा फिर घायल बेटी को उसपर लिटा दिया। एक और बेटे को साथ लेकर 41 किलोमीटर ठेला चलाकर सदर चिकित्सालय पहुंच गया। जहां डॉक्टर ने बच्ची का उपचार आरम्भ किया। तत्पश्चात, उसे बेहतर उपचार के लिए डीएमसीएच रेफर कर दिया। समाजसेवी कृष्ण कुमार ने पीड़ित बच्ची के बेहतर उपचार के लिए कुछ आर्थिक मदद की। जिसके बाद उसे एम्बुलेंस से डीएमसीएच दरभंगा भेज दिया गया। सदर चिकित्सालय में मंटुन राय अपनी बेटी के बेड के पास बैठा हुआ था। उसे अपनी गलती का एहसास था और हाथ जोड़कर अपनी दर्द भरी कहानी सुनाते हुए बताता है कि उसकी पत्नी कुछ वर्ष पहले गांव के गणेश नामक लड़के के साथ अपने बच्चों को छोड़कर भाग गई थी। उसके बाद से वे ठेला चलाकर मजदूरी कर एक बेटा तथा एक बेटी का भरण पोषण करते आ रहा है। इन बच्चों को मेरे अतिरिक्त देखने वाला कोई नहीं है। सुबह खाना बनाकर जाता हूं तथा रात में लौटता हूं। एक रात जब थका हारा घर लौटा तो छह वर्षीय बेटी को घर में नही देखा तथा कुछ रूपया भी गायब था। बस इसी पर उसे गुस्सा आ गया तथा उसकी पिटाई कर दी। उसे अपने गलती का एहसास है अब वैसा नहीं करेगा।

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