रूस-यूक्रेन जंग के कारण इस देश पर आने वाला है बड़ा संकट, मची हलचल
रूस-यूक्रेन जंग के कारण इस देश पर आने वाला है बड़ा संकट, मची हलचल
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दुनिया में गेहूं के दो मुख्य उत्पादकों रूस एवं यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से मध्य-पूर्व एवं उत्तरी अफ्रीका के देशों में गेहूं की भारी कमी हो गई है. भारत एवं चीन के पश्चात सबसे ज्यादा गेहूं की उपज रूस में होती है तथा रूस विश्व में गेहूं का सबसे बड़ा निर्यातक है. यूक्रेन दुनिया के 5 सबसे बड़े गेहूं के निर्यातकों में से एक है. मध्य-पूर्व एवं उत्तरी अफ्रीका को सबसे ज्यादा गेहूं यूक्रेन तथा रूस से ही मिलता है. युद्ध ने इस कारोबार को गंभीर तौर पर प्रभावित किया है तथा आयातक देशों में गेंहू की भारी समस्या हो गई है. वही लंदन युनिवर्सिटी के SOAS में मध्य पूर्व की राजनीति के प्रोफेसर काराबेकिर अकोयुनलु ने अल जज़ीरा को कहा कि यदि यूक्रेन में युद्ध लंबा खिंचता है तो इससे यूक्रेन की गेहूं की फसल पर प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा, 'गेहूं की फसल जुलाई में आरम्भ होती है तथा इस वर्ष की उपज बहुत अच्छी रहने की उम्मीद है. यदि हालात सामान्य रहे तो वैश्विक बाजार में गेहूं की प्रचुर आपूर्ति होगी मगर यूक्रेन में युद्ध लंबा खिंचता है तो देश में गेहूं की फसल प्रभावित हो सकती है. इस वजह से वैश्विक आपूर्ति भी प्रभावित होगी.'

वही इसके अतिरिक्त यूक्रेन पर रूसी हमले के जवाब में पश्चिमी देशों ने अंतर्राष्ट्रीय स्विफ्ट बैंकिंग प्रणाली से कुछ रूसी बैंकों को प्रतिबंधित कर दिया है. इससे रूस के निर्यात पर प्रभाव पड़ेगा तथा गेहूं का निर्यात भी प्रभावित होगी. प्रोफेसर काराबेकिर ने बताया कि कोरोना संक्रमण महामारी की वजह से पहले से ही खाद्य आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित है तथ दाम रिकॉर्ड स्तर को छू रहे हैं, युद्ध से हालात और बदतर होंगे. वही मध्य-पूर्व के देश यूक्रेन तथा रूस से ही अपनी आवश्यकता का गेहूं का आयात करते हैं. तुर्की अपनी आवश्यकता का आधा भाग ही देश में उत्पादित करता है. अपने गेहूं आयात का 85 फीसदी भाग तुर्की, रूस तथा यूक्रेन से खरीदता है. तुर्की के स्टैटिक्स इंस्टिट्यूट के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2021 में तुर्की ने यूक्रेन से रिकॉर्ड स्तर पर गेहूं का आयात किया है. प्रोफेसर काराबेकिर ने बताया, 'तुर्की की सरकार का कहना है कि वो गेहूं की कमी को पूरा करने के लिए अपने गेहूं के घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी करेगी. मगर फिर भी इससे तुर्की में गेहूं के दामों में भारी इजाफा होगा.'

वही तुर्की पहले से ही आर्थिक परेशानी की मार झेल रहा है तथा उसकी मुद्रा लीरा में भारी कमी देखने को मिली है. तुर्की में खाद्यान्न के दाम आसमान छू रहे हैं तथा लोगों का मुख्य आहार ब्रेड बहुत महंगा हो गया है. आम लोग महंगी ब्रेड खरीद नहीं पा रहे हैं जिसकी वजह से सरकार आम जनता के लिए सस्ती दरों पर ब्रेड दे रही है. मगर गेहूं के आयात पर प्रभाव पड़ने से व्यक्तियों के लिए ब्रेड खरीदना और कठिन हो जाएगा तथा सरकार भी आम जनता को सस्ती ब्रेड देने में अक्षम हो जाएगी.' प्रोफेसर काराबेकिर ने बताया, 'इसी वर्ष तुर्की में चुनाव भी होने वाले हैं, गेहूं के अभाव से राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन पर ज्यादा दबाव पड़ेगा. एर्दोगन की सरकार पहले ही कई ऑपिनियन पोल्स में विपक्षी पार्टियों से पीछे चल रही है.' मध्य-पूर्व तथा उत्तरी अफ्रीका के कई देश पहले ही आर्थिक परेशानी की मार झेल रहे हैं. वैश्विक स्तर पर बढ़ते दामों ने इन देशों की कमर पहले ही तोड़ दी है. अब यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से गेहूं का आयात भी प्रभावित होगा जिससे ये देश गंभीर खतरे में पड़ जाएंगे.

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