प्रेगनेंसी के दौरान शराब का सेवन
प्रेगनेंसी के दौरान शराब का सेवन
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गर्भावस्था में मद्यपान शिशुजन्म के विकारों का मुख्य ज्ञात कारण है. चूंकि भ्रूण में अल्कोहल रोगसमूह को उत्पन्न करने के लिये आवश्यक अल्कोहल की मात्रा अज्ञात है, इसलिये स्त्रियों को नियमित रूप से या विशेष मौकों पर शराब का सेवन न करने की सलाह दी जाती है. शराब को पूरी तरह से छोड़ देना और भी हितकर हो सकता है. गर्भावस्था में शराब पीने से होने वाले प्रभावों का दायरा काफी बड़ा है.

गर्भावस्था में किसी भी रूप में शराब पीने वाली स्त्रियों में गर्भपात होने का खतरा दुगुना हो जाता है, खास तौर पर यदि वे भारी मात्रा में शराब पीती हों. अकसर गर्भावस्था में नियमित रूप से शराब पीने वाली स्त्रियों के शिशुओं का जन्म वजन सामान्य से काफी कम होता है. सभी शिशुओं के 7 पौंड औसत जन्म वजन की तुलना में अल्कोहल की बड़ी मात्रा से प्रभावित शिशुओं का औसत जन्म वजन करीब 4 पौंड ही होता है. गर्भावस्था में मद्यपान करने वाली स्त्रियों के नवजातों का विकास नहीं भी हो सकता है और जन्म के तुरंत बाद मृत्यु होने की अधिक संभावना होती है.

गर्भावस्था में मद्यपान करने वाली स्त्रियों के शिशुओं या विकसित हो रहे बच्चों में बर्ताव की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जैसे असामाजिक बर्ताव और ध्यान में कमी का रोग. ये विकार शिशु को कोई शारीरिक जन्म विकारों के न होने पर भी हो सकते हैं.

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