चीन के सैन्य अभ्यास के विरोध में उतरा अमेरिका
चीन के सैन्य अभ्यास के विरोध में उतरा अमेरिका
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लद्दाख के गलवान घाटी में हुए हमले के पश्चात् पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी के साथ दक्षिण चीन सागर में बीजिंग ने अपनी सैन्‍य हलचल तेज कर दी है। इससे दक्षिण एशिया के साथ दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में सामरिक संतुलन बिगड़ गया है। चीन के इस कदम से दक्षिण पूर्व एशियाई मुल्‍कों की संप्रभुता पर संकट की स्थिति पैदा हो गई है। अमेरिका ने चीन के सैन्‍य अभ्‍यास पर अपनी सख्‍त नाराज़गी जताई  है. और इन स्थितियों के चलते अपनी चिंता भी जाहिर की है. वही दक्षिण चीन सागर में बीजिंग के सैन्‍य अभ्‍यास को लेकर अमेरिका ने एक बार फ‍िर अपनी चिंता प्रकट की है। अमेरिकी रक्षा विभाग ने भी 1 से 5 जुलाई को दक्षिण चीन सागर में पैरासेल द्वीप समूह के आस-पास पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) द्वारा किए गए सैन्य अभ्यास पर चिंता व्यक्त करते हुए एक प्रेस बयान जारी किया है। 

जिसमे अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मॉर्गन ऑर्टागस ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका एससीएस में पीआरसी के गैरकानूनी दावों का विरोध करता है। वही अमेरिका का कहना है कि चीन का यह सैन्‍य अभ्‍यास 2002 घोषणापत्र का सरासर उल्‍लंघन है। अमेरिका इस अतिक्रमण का विरोध करता है। अमेरिका ने जोर देकर कहा कि चीन की इस अभ्‍यास के विरुद्ध वह दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के साथ है। वही अमेरिकी रक्षा विभाग का कहना है कि दक्षिण चीन सागर के विवादित क्षेत्र में बीजिंग का सैन्‍य अभ्‍यास क्षेत्रीय स्थिरता के लिए संकट  है। इससे क्षेत्र में और तनाव की स्थिति उतपन्न होगी। चीन का यह सैन्‍य अभ्‍यास दक्षिण चीन सागर में अस्थिरता को बढ़ाएगा अमेरिका ने आगे कहा है कि हमे उस क्षेत्र की ऐसी गतिविधियों से बचना चाहिए, जो विवादों को ओर जटिल बनाने में सहायक हो, या जिससे स्थिरता में शांति बनाना खतरनाक साबित हो जाये. 

वही अमेरिकी रक्षा विभाग का कहना है कि चीन का यह सैन्‍य अभ्‍यास ड्रैगन की सोची-समझी रणनीति का भाग है। यह चीन के समुद्री क्षेत्र पर अवैध दावों के लिए एक सिलसिला है। यह उसका एक अभियान है। अमेरिका ने कहा कि चीन के इस कदम से दक्षिण पूर्व एशियाई पड़ोसियों के लिए एक खतरा उत्‍पन्‍न हो गया है। अमेरिका ने कहा है कि यह चीन की वादाखिलाफी है। 2002 में दक्षिण चीन सागर का सैन्‍यीकरण नहीं होने की बात कही गई है। इस इलाके के सैन्यिकरण से यहां के सभी बड़े और छोटे राष्‍ट्रों की संप्रभुता खतरे में आ गई है। यह अंतरराष्‍ट्रीय नियमों के प्रतिकूल है। अमेरिकी रक्षा विभाग ने सख्‍त लहजे में कहा वह विवादित चीन सागर में स्थिति की निगरानी करना जारी रखेगा। तथा जरुरी है की कुछ ऐसे प्रयास किये जाये, जिससे राष्ट्रों की सम्प्रभुता पर कोई आंच न आये.  

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