जगदलपुरः नक्सल प्रभावित क्षेत्र काफी पिछड़े होते हैं। वहांं पर जरूरी सेवाओं की पहुंच कम होती है। दूरदराज में बसे होने के कारण सरकार भी वहां ठीक से नहीं पहुंच पाती। बाकी निजी क्षेत्र सुरक्षा कारणों से वहां नहीं पहुंच पाता। इसलिए ये क्षेत्र मूलभूत सुविधाओं से मरहुम रह जाते हैं। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर में तैनात कलेक्टर डॉ अयाज फकीरभाई तम्बोली ने क्षेत्र की स्वास्थय सेवाओं को सुधारने का जिम्मा उठाया है। पेशे से डॉक्टर रह चुके तम्बोली मूल रूप से महाराष्ट्र के हैं।
छत्तीसगढ़ कैडर के 2009 बैच के आइएएस डॉ. तंबोली मूल रूप से महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। डॉ. तंबोली के पिता प्राइमरी टीचर थे और मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता। दो बहनों के साथ पढ़ते हुए अपने बलबूते 2006 में मेडिकल की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। 2008 में यूपीएससी में 75वां रैंक आया। 2009 बैच के आईएएस अयाज तम्बोली एमबीबीएस डॉक्टर हैं। घने वनों, तीन राज्यों की सीमा से सटे, नक्सल प्रभावित और पहुंचविहीन बीजापुर जिले में स्वास्थ्य सेवा का बुरा हाल देख उन्होंने इसमें सुधार का बीड़ा उठाया।
बीजापुर जिला अस्पताल का आधुनिकीकरण कर वहां कांट्रेक्ट पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की पदस्थापना कराई। जिला अस्पताल में नियो नेटल यूनिट स्थापित किया। पहले रेफर सेंटर रहे बीजापुर जिला अस्पताल में 2017-18 में करीब 300 ऑपरेशन किए गए। जिला अस्पताल के अलावा उन्होंने भैरमगढ़ और भोपालपटनम के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की दशा बदली। फरसेगढ़, माटवाड़ा, मोदकपाल, बासागुड़ा, मिरतुर आदि धुर नक्सल इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को उन्न्त किया। तम्बोली को नक्सल प्रभावित बीजापुर में बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने पर अवार्ड मिला है। यह पुरस्कार प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका फाउंडेशन की ओर से दिया गया है। अयाज तम्बोली को नक्सल प्रभावित बीजापुर में बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने पर अवार्ड मिला है। यह पुरस्कार प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका फाउंडेशन की ओर से दिया गया है।
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