यह  कैसा समय का पहिया है, बंद आँखों से पलके निचोड़ गए कलाम
यह कैसा समय का पहिया है, बंद आँखों से पलके निचोड़ गए कलाम
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मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना. वो भी शख्स था जो इन्सानियत की मिसाल था, खुदा का एक कलाम था सचमुच वो कमाल था. कर्म महान होता है. यह बात अब तक शास्त्रों में पढ़ी थी, लेकिन कलाम साहब की मौत के बाद इसका अनुभव भी कर लिया. कलाम साहब की मौत के बाद अफ़सोस कर रहा हर भारतवासी. यह सन्देश है उन कट्टरपंथियों के लिए जो धर्म के नाम पर राजनीतिक फसाद करते हैं. कहते हैं की हिंदुस्तान में मुस्लिमों का सम्मान नहीं होता. कलाम साहब के जाने के बाद हर आँख आज नम है.

पत्रकार हूँ इसलिए हर दिन अलग अलग वर्ग के लोगों से मुलाकात भी होती है. इन दो दिनों में भी कई लोगों से मिला. इनमे कुछ हिंदूवादी कहलाने वाले नेता, सामाजिक लोग, जनप्रतिनिधी सहित अन्य थे. लेकिन एक एसा शख्स नहीं मिला जिसे कलाम साहब की मौत का अफ़सोस न हो. जिस बन्दे ने अपने जीवन की शुरुआत अखबार बांटने से की थी आज उस बन्दे की खबर दुनिया के हर अखबार में हैं. मैंने पहली बार यह अनुभव किया. वाकई सुखद और प्रेरणादायक था.

धर्म नहीं कर्म पूजाता है इस बात को सिद्ध कर गए कलाम साहब. सलाम है उस शख्स को जिसने अपना जीवन देश के नाम कर दिया और जाते जाते भी एसा पैगाम दे गए जो हमेशा याद रहेगा. संघर्षो से लड़ते लड़ते साधारण शक्ल का इंसान कब कलाम बन गया पता ही नही चला. सपने देखने की सिख देने वाला भगवान ज़िंदगी को अलविदा कह गया . जाते जाते एक सपना और छोड़ गए. कड़ी मेहनत और बड़ी सफलताओ का जीता जगता उदाहरण है कलाम.

उम्र भी मौत के आड़े नही आई. हमेशा अपने जीवन में व्यस्त रहने वाले कलाम को ले जाने के लिए मौत को भी पीछे से वार करना पड़ा. सुबह उठते ही योग साधना और वीणा वादन से लेकर पोधो को सहलाना फिर अपने काम में व्यस्त हो जाना. नई सोच के साथ कई लेक्चर और सम्बोधन के साथ खातों का जवाब देना. कहा से इतना समय निकाल पाते कोई नही जान सका. मौत भी उनके विहंगम जीवन को देख चकरा गई. आखिर बिल्ली की तरह घात लगाए बैठी मौत ने भी तब वार किया जब वह शिलांग में सम्बोधित कर रहे थे.

अचानक समय का पहिया घुमा और सब कुछ पीछे छूट गया. बचपन से खुली आँखों से सपने देखने वाला एक नाविक का बेटा आकाशगंगा के साथ अठखेलिया करता था. एक तरफ कुरान और दूसरी तरफ गीता के मजधार में पैदा हुए इस शख्स ने पहले हिंदुस्तान चुना.

न्यूज़ ट्रैक परिवार की तरफ से सम्मानीय डॉ.कलाम साहब को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि.

संदीप मीणा 

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