ग्वालियर : देश में बने दहेज प्रताड़ना कानून का दुरूपयोग हो रहा है, घरेलू मामलो में महिलाये झूठा केस थाने में दर्ज करवाती है, जिससे बिना आरोप के ही लोगो को सजा भुगतनी पड़ती है. इन मामलो में अधिकतर मामलो में रिपोर्ट गलत साबित होती है, ऐसे में इसकी सही से जांच होना अतिआवश्यक हो गया है. उक्त मामले में जिले में परिवार कल्याण समिति का गठन किया जाएगा जो पूरी जानकारी जुटाएगा.
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने राजेश शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश सरकार 27 जुलाई 2017 को एक फैसला सुनाया था. दहेज प्रताड़ना के कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए गाइड लाइन निर्धारित की थी. उस गाइडलाइन का राज्यों को पालन करना होगा. इसी आधार पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जिला न्यायाधीशों को आदेश दिया है कि 31 मार्च 2018 से पहले परिवार कल्याण समितियों का गठन करें. इस समिति में तीन सदस्य रहेंगे. इन सदस्यों का चुनाव जिला न्यायाधीश को करना होगा. सदस्यों के निर्धारण के बाद जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को समिति के सदस्यों की ट्रेनिंग करानी होगी, समिति के कामों की निगरानी होगी. साल में जिला न्यायाधीश को समिति की बैठक आयोजित करनी होगी. इस समिति का गठन प्रदेश के हर जिले में होगा.
अभी तक दहेज़ प्रताड़ना के मामले पुलिस के पास दर्ज होते थे, कार्यवाही नहीं होने पर बाद में पीड़ित कोर्ट में भी दर्ज कर सकते है. लेकिन अब यह मामले परिवार कल्याण समिति के पास जायेगे, जिनका निदान एक माह में किया जायेगा. समिति की रिपोर्ट के बिना पुलिस किसी को भी हिरासत में नहीं ले सकेगी.
'' रोहिंग्या शराणार्थी पर आज सुप्रीम कोर्ट में फैसला ''
लग सकती है हिंदूओं की चिता जलाने पर रोक!
'' आम्रपाली ग्रुप के डायरेक्टर्स को नोटिस, नहीं जा सकेंगे देश से बाहर ''