WhatsApp स्काइप के द्वारा फ्री-कॉलिंग ख़त्म करने की कोशिश
WhatsApp स्काइप के द्वारा फ्री-कॉलिंग ख़त्म करने की कोशिश
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नई दिल्ली : इंटरनेट पर डाटा संचार की सुविधा को किसी प्रकार के पक्षपात से मुक्त रखने के संबंध में सुझाव देने के लिए गठित एक सरकारी समिति ने कहा है कि स्काइप, वाट्सऐप और वाइबर जैसे एप की मदद से इंटरनेट पर स्थानीय काल को दूरसंचार सेवा कंपनियों की सामान्य फोन-काल सेवाओं के समान मान कर उनका उसी तरह नियमन किया जाना चाहिए. इस समिति ने फेसबुक की इंटरनेट.ऑर्ग जैसी परियोजनाओं पर रोक लगाने की सिफारिश की है जो कुछ वेबसाइटों से संपर्क के लिए ग्राहकों से मोबाइल डेटा शुल्क नहीं लेंती. उसका सुझाव है कि उसी तरह की एयरटेल जीरो जैसी योजनाओं को ट्राई की पूर्व अनुमति के बाद ही लागू करने की छूट होनी चाहिए.

दूरसंचार विभाग के तकनीकी सलाहकार ए.के. भार्गव की अध्यक्षता वाली इस समिति ने कहा है कि ‘ओवर-दी-टॉप (ओटीटी) वायस ऑन इंटरनेट प्रॉटॉकोल पर अंतरराष्ट्रीय कॉल सेवाओं को लेकर उदार दृष्टिकोण अपनाया जा सकता है. लेकिन घरेलू काल (स्थानीय और राष्ट्रीय) के मामले में दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और अेटीटी संचार सुविधाओं को फिलहाल नियामकीय दृष्टि से समान रूप से देखा जा सकता है. ट्राई के डाटा के अनुसार सेवा प्रदाताओं की काल और मैसेज की दरों और ओटीटी से इन सेवाओं की दरों में क्रमश 12.5 गुना और 16 गुना का अंतर है. ओटीटी सेवा प्रदाताओं की सेवा दरें सस्ती पड़ती हैं. उदाहरण के लिए एक मिनट की काल के लिए सामान्य नेटवर्क ग्राहक से करीब 50 पैसे वसूलता है जबकि इंटनेट के जरिए यही काल 4 पैसे में पड़ती है.

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