इसलिए नहीं करना चाहिए पब्लिक प्लेस में स्मोकिंग
इसलिए नहीं करना चाहिए पब्लिक प्लेस में स्मोकिंग
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धूम्रपान करना ही नहीं, बल्कि तंबाकू के धुएं के संपर्क में आना भी बेहद खतरनाक है. लगभग 52.3 फीसदी भारतीय अपने ही घर में, 29.9 फीसदी कार्य स्थल पर और 29 फीसदी सर्वजनिक स्थानों पर सैकेंड हैंड स्मोकिंग के संपर्क में आते हैं. तंबाकू के धुएं में 7000 से ज्यादा रसायन होते हैं, जिनमें से लगभग 70 रसायन कैंसर पैदा करने वाले होते हैं. 

तंबाकू के धुएं के अप्रत्यक्ष संपर्क आना भी खुद धूम्रपान करने जितना ही खतरनाक है. धूम्रपान करने वालों और उनके करीब रहने वालों की सेहत पर इससे पड़ने वाले बुरे प्रभावों को देखते हुए सख्त कानूनों को लागू कराने के लिए लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है.

तंबाकू की वजह से दुनिया में हर साल 60 लाख लोगों की मौत हो जाती है, जिनमें से 6 लाख वैसे लोग भी शामिल हैं, जो खुद धूम्रपान नहीं करते, लेकिन इसके संपर्क में आ जाते हैं. तंबाकू से निकले धुएं के संपर्क में आने वाले लोगों को पैसिव स्मोकिंग कहा जाता है. जो लोग इस माहौल में सांस लेते हैं, वे धूम्रपान करने वालों के समान ही निकोटिन और विषैले रसायन लेते हैं, जो हमारे शरीर के लिए बेहद खतरनाक हैं.

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