Aug 26 2015 04:42 AM
दक्षिण भारत की एक न्यायपालिका ने हाल ही में एक फरमान जारी किया है कि एक तलाकशुदा महिला अपने पहले पति से तभी गुजारा भत्ता पाने की हकदार है जब वह किसी और से यौन संबंध स्थापित न करे। मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस एस नागमुथु कानूनी रूप से सही हो सकते हैं, लेकिन फैसले की भाषा चिंता में डालने वाली है। जस्टिस नागामुथु का तर्क है कि गुजारा भत्ते के लिए, एक महिला को ‘यौन अनुशासन कायम रखना चाहिए।
अपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत विवाहेत्तर संबंध बनाने पर महिला गुजारा भत्ते का दावा नहीं कर सकती। हाईकोर्ट ने कहा कि क्योंकि महिला को तलाक देते समय फैमिली कोर्ट ने माना था कि महिला के विवाहेत्तर संबंध हैं, इसलिए वह अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता पाने की स्पष्ट रूप से हकदार नहीं है। लेकिन जिन परिस्थितियों के तहत तलाक दिया गया, उन पर भी सवाल उठते दिखाई देते हैं- फैमिली कोर्ट का आदेश ‘एकपक्षीय’सुनवाई के आधार पर था, जिसका मतलब वह कभी मुकदमा नहीं लड़ी और ना ही कभी कोर्ट में हाजिर हुई।
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