डोल ग्यारस पर्व और महत्व
डोल ग्यारस पर्व और महत्व
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डोल ग्यारस पर्व भादों मास के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवे दिन मनाया जाता है, इस वर्ष यह त्योहार 24 सितम्बर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान श्री कृष्ण को डोल मे बैठाकर तरह-तरह की झांकी के साथ बड़े ही हर्षोल्लास के साथ जुलूस निकाला जाता है, साथ ही भगवान को फल, फूल, व मिठाई चढ़ाई जाती है। यह त्योहार भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद मनाया जाता है, मान्यता हे इस दिन माता यशोदा श्री कृष्ण के वस्त्र धोने डोल मे बैठकर यमुना नदी पर गई थी। 

इस दिन व्रत भी रखा जाता है, यह पर्व हिन्दू धर्म मे बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन गाँव व शहरो मे रतजगा भी किया जाता है, भादों मास व्रत व त्योहारो का ही मास हे,

डोल ग्यारस पर्व का महत्व: 

इस दिन विष्णु के अवतार वामन देव की पूजा की जाती हैं, उनकी पूजा से त्रिदेव पूजा का फल मिलता हैं |

इसके प्रभाव से सभी दुखो का नाश होता हैं, समस्त पापो का नाश करने वाली इस ग्यारस को परिवर्तनी ग्यारस, वामन ग्यारस एवं जयंती एकादशी भी कहा जाता हैं |

इस दिन भगवान विष्णु एवं बाल कृष्ण की पूजा की जाती हैं, जिनके प्रभाव से सभी व्रतो का पुण्य मनुष्य को मिलता हैं|

डोल ग्यारस की पूजा एवम व्रत का पुण्य वाजपेय यज्ञ, अश्व मेघ यज्ञ के तुल्य माना जाता हैं |

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