नई दिल्ली: चिकित्सकों एवं अर्थशास्त्रियों सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य की पैरवी करने वाले संगठनों ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद से बीड़ी पर 28 फीसद कर लगाने का आग्रह किया है. उन्होंने जीएसटी परिषद से कहा है कि बीड़ी को नुकसान पहुंचाने वाले उत्पादों की श्रेणी में सूचीबद्ध किया जाना चाहिये और इसके ऊपर जीएसटी की सर्वाधिक 28 फीसद दर से कर लगाया जाना चाहिये. उन्होंने कहा है कि इससे लाखों लोगों की जानें बचेंगी.
उन्होंने तंबाकू जैसे हानिकारक पदार्थों को 28 फीसद कर दायरे में बनाए रखने की भी मांग की. उन्होंने सिगरेट और धुआंरहित तंबाकू को 28 फीसद कर दायरे में बनाए रखने के फैसले की प्रशंसा करते हुए बीड़ी को भी हानिकारक सामग्री की श्रेणी में रखने और इसपर भी 28 प्रतिशत कर लगाने की मांग की. विशेषज्ञों का कहना है कि 28 प्रतिशत कर लगाने से न सिर्फ इसका उपभोग कम होगा बल्कि सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा.
मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में कैंसर के चिकित्सक डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने कहा है कि, ‘‘तंबाकू पर ज्यादा कर लगाने से उन लोगों में इसका उपयोग प्रभावी तरीके से कम होता है जिनके लत पकड़ने की आशंका होती है. यह हैरानी की बात है कि बीड़ी को हानिकारक वस्तुओं में नहीं रखा गया है जबकि यह सिगरेट के जैसे ही नुकसानदेह है.’’ उन्होंने कहा है कि, ‘‘बीड़ी की वजह से देश में प्रति वर्ष 10 लाख लोग मरते हैं और इसकी वजह से होने वाली बीमारियों से देश पर आर्थिक बोझ भी पड़ता है.’’
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