चिकित्सक करता है देवदूत का काम
चिकित्सक करता है देवदूत का काम
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बिंदिया अपने दोस्त के लिए काफी परेशान थी। उसकी दोस्त सृष्टि की क्रिटिकल सर्जरी की जानी थी। परिवार के सभी लोग अस्पताल में थे, हाॅस्पिटल के पैसेज और कैंटिन सृष्टि के दोस्तों से आबाद हो रहे थे। सभी इसी परेशानी में थे कि आखिर किया क्या जाए। अब तो बस दो ही शक्तियों पर उम्मीद टिकी थी एक तो भगवान और दूसरा डाॅक्टर। चिकित्सकों ने उसकी सर्जरी की। कुछ आराम के बाद सृष्टि पूरी तरह से स्वस्थ्य हो गई। अस्पताल से लौटते समय सभी खुश थे। सभी ने चिकित्सकों को धन्यवाद देते हुए कहा सच में भगवान ने ही आपको हमारी मदद के लिए बनाया। रियली थैंक्यू।

चिकित्सा ऐसा पेशा होता है जिसे हर कोई सम्मान की नज़रों से देखता है। इस पेशे में हर दम नई चुनौती होती है। हालांकि बाॅडी के साथ हर बार एक जैसा ही सलूक करना होता है लेकिन हर बार मरीज के सिंप्टम्स अलग होते हैं। मगर चिकित्सक को फिर भी चुनौतियों से जूझना पड़ता है। एक पेशेंट को ट्रीटमेंट देने के बाद दूसरा राहत के लिए तैयार रहता है। चिकित्सा ऐसा ही पेशा है जहां मरीज ये दिल मांगे मोर की बात करता है। चिकित्सक हर किसी के जीवन में नई रोशनी लेकर आते हैं। अस्पताल में भर्ती मरीज की हर उम्मीद चिकित्सक से बंधी होती है।

चिकित्सक अपने हुनर से मरीजों को नया जीवन देते हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमें चिकित्सकों ने लोगों को नया जीवन दिया है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान के माध्यम से चिकित्सक जटिल से जटिल रोग को ठीक करने में लगातार लगे रहते हैं। ऐसे चिकित्सकों को पाकर मरीज और उनके परिजन जीवनभर उन्हें धन्यवाद देते हैं। एक चिकित्सक जब मरीज का उपचार करता है तो वह केवल उसे ठीक करने तक ही सीमित नहीं रहता वह अपने मरीज, उसके परिजन की हर खुशी और दुख में भी शामिल होता है। भगवान ने इंसानी शरीर के तौर पर जो संरचना बनाई है। उसे वह दूत बनकर जीवन जीने योग्य रखता है।

तभी तो भगवान को लगाया जाने वाला भोग सबसे पहले उसी चिकित्सक के हाथों में दिया जाता है। क्या आप जानते हैं ऐसे ही चिकित्सकों की याद में डाॅक्टर्स डे मनाया जाता है। जी हां, भारत के चिकित्सक डाॅ. बिधानचंद्र राय का जन्म 1 जुलाई को मनाया जाता है। डाॅ. बिधानचंद्र राय द्वारा 1882 में बिहार के पटना जिले में जन्मे डाॅ. राय ने चिकित्सा विज्ञान में उपाधि प्राप्त करने के बाद लंद से एफआरसीएस की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने लोगों को अपनी चिकित्सकीय सेवाऐं दीं और महात्मा गांधी के साथ असहयोग आंदोलन में भी शामिल हुए। उन्हीं की स्मृति में डाॅक्टर्स डे मनाया जाता है।

 
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