क्या आप जानते है महाकाल लोक के यह रहस्य, और निखर जाएगी उज्जैन नगरी की महिमा
क्या आप जानते है महाकाल लोक के यह रहस्य, और निखर जाएगी उज्जैन नगरी की महिमा
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उज्जैन/ब्यूरो। ज्योतिर्लिंगों में शामिल भगवान महाकालेश्वर न केवल देश-प्रदेश, बल्कि विश्व में प्रसिद्ध हैं। लाखों श्रद्धालु प्रतिवर्ष भगवान महाकालेश्वर की एक झलक पाने के लिये एकत्रित होते हैं। मोक्षदायी सप्तपुरियों में से एक अवन्तिका में विराजित हैं भगवान महाकाल। भगवान शिव से जुड़ी कथाओं, ज्ञान, भक्तिभाव और तन-मन शिवमय हो सके, इसके लिये ही बनाया गया है ‘महाकाल लोक’।

शासन द्वारा यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिये हर तरह की सुविधा का बंदोबस्त किया गया है। महाकाल लोक का लोकार्पण देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 11 अक्टूबर को किया जायेगा।

प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बनारस के कॉरिडोर की तर्ज पर उज्जैन में भी इसी तरह का विकास करने के बारे में संकल्प लिया और यह संकल्प अब पूर्ण हो चुका है। महाकाल लोक श्री महाकाल महाराज विकास योजना के प्रथम चरण के अन्तर्गत निर्मित हुआ है। वर्ष 2023 तक इस प्रोजेक्ट के द्वितीय चरण के कार्य भी पूर्ण हो जाने की पूरी-पूरी संभावना है। आगामी 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री द्वारा महाकाल लोक आम श्रद्धालुओं के लिये खोल दिया जायेगा।

महाकाल लोक की अनुमानित लागत 800 करोड़ रुपये है। महाकाल लोक पहुंचने के लिये चार भुजाओं वाले महाकाल ओवर ब्रिज से होकर त्रिवेणी संग्रहालय जाना होता है। संग्रहालय के ठीक सामने लगभग 450 वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था की गई है। पार्किंग शेड के ऊपर सोलर पैनल लगाये गये हैं।

पार्किंग के ठीक सामने पिनाक द्वार है और उसके समीप स्थित है त्रिवेणी संग्रहालय। महाकाल लोक में प्रवेश करने के पहले नन्दी द्वार बनाया गया है। द्वार के बाहरी हिस्से में भगवान गणेश के दर्शन होते हैं। प्रवेश द्वार पर विशाल नन्दी की प्रतिमा बनाई गई है, जो कि अत्यन्त आकर्षक लगती है। इन्हें निहारते हुए महाकाल लोक में प्रवेश होता है। उल्लेखनीय है कि महाकाल लोक 900 मीटर लम्बे क्षेत्र में निर्मित किया गया है। महाकाल लोक के दाहिनी तरफ कमल ताल, शिव स्तंभ, सप्तऋषि परिसर, पब्लिक प्लाजा और नवग्रह परिसर बनाये गये हैं। यहां पर बैठक व्यवस्था की गई है। पास ही में कमल ताल है, जहां 25 फीट ऊंची शिव की प्रतिमा बनाई गई है। 

लोटस पोंड, ओपन एयर थिएटर तथा लेकफ्रंट एरिया और ई-रिक्शा व आकस्मिक वाहनों हेतु मार्ग भी पूर्ण हो चुका है। बड़े रूद्र सागर की झील में स्वच्छ पानी भरा जायेगा और यह सुनिश्चित किया गया है कि इस झील में गन्दा पानी बिल्कुल न मिलने पाये।

महाकाल लोक में बनी प्रतिमाएं, फव्वारे और आसपास की हरियाली आकर्षित करती है। कोबल्ड स्टोन की रोड क्रॉसिंग के जरिये पदयात्रियों की कनेक्टिविटी विकसित की गई है। पैदल चलते हुए शिव, देवी और श्रीकृष्ण से जुड़ी प्रतिमाएं नजर आती हैं। चित्रों के नीचे सम्बन्धित कथाएं भी अंकित की गई हैं। क्यूआर कोर्ड भी बनाये गये हैं, जिन्हें मोबाइल से स्केन कर कथा सुनी जा सकती है। इनमें शिव बारात का आकर्षक चित्रण किया गया है। एक शिल्प में कैलाश पर्वत को रावण ने उठा रखा है। कैलाश पर शिव परिवार भी विराजित है। एक शिल्प में देवी की नृत्य मुद्रा बनाई गई है।

सप्तऋषि परिसर में ऋषियों की विशाल प्रतिमाओं के दर्शन के साथ उनके बारे में आवश्यक जानकारी दी गई है। त्रिपुरासुर वध का चित्रण विशाल शिल्प में किया गया है। यहां रथ पर सवार भगवान शिव त्रिपुरासुर का वध कर रहे हैं।

पिनाक द्वार उनके लिये है जो सीधे मन्दिर में प्रवेश करना चाहते हैं। यह पौराणिक रूद्र सागर का घाट है। रूद्र सागर में लाईट एण्ड साउण्ड शो, लेजर शो और वाटर कर्टन शो दिखाये जायेंगे।

पूरे कॉरिडोर में देश की सबसे लम्बी भित्ति चित्र वाली दीवार है। इस दीवार पर पत्थरों पर शिव कथाएं उकेरी गई हैं। महाकाल लोक दो हिस्सों में बना है। एक तरफ पैदल पथ और दूसरी तरफ ईकार्ट पथ। बच्चे, वृद्ध, दिव्यांग और महिलाओं के लिये ईकार्ट की व्यवस्था नि:शुल्क की गई है। दोनों पथ के बीच 108 शिवस्तंभ शिव की विभिन्न मुद्राओं सहित निर्मित हैं, जो अलग ही छटा बिखेर रहे हैं। यह स्तंभ साधारण नहीं है, हर स्तंभ पर शिव की नृत्य मुद्रा अंकित है। इन्हीं पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाये गये हैं।

महाकाल लोक में शॉपिंग कॉम्पलेक्स भी बनाया गया है, जहां फूल, प्रसाद से लेकर धर्म और संस्कृति से जुड़ी विभिन्न वस्तुओं की दुकानें हैं। कॉम्पलेक्स के समीप फेसिलिटी सेन्टर क्रमांक-2 स्थित है, जहां जूते, चप्पल और बैग जमा करने की व्यवस्था की गई है। समीप ही शौचालय और नाश्ते तथा शुद्ध पेयजल की व्यवस्था भी की गई है।

महाकाल लोक में देश का पहला नाईट गार्डन बनाया गया है, जहां दिन में भी रात्रि का एहसास होता है। गोलाकार नाईट गार्डन के बीच शिव की विशाल ध्यानमग्न प्रतिमा बनाई गई है। इसके ठीक सामने के हिस्से में नीलकंठ परिसर है। लगभग 20 एकड़ में फैले महाकाल लोक में आकर्षक विद्युत सज्जा की गई है। रात्रि के समय जब मूर्तियों और म्युरल्स पर रोशनी पड़ती है तो पूरा लोक स्वर्णिम आभा से चमकने लगता है।

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