क्या आप जानते है शनि देव को तेल चढाने की प्रथा कैसे शुरू हुई
क्या आप जानते है शनि देव को तेल चढाने की प्रथा कैसे शुरू हुई
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न्याय के देवता कहे जाने वाले शनि देव की यदि सच्चे दिल से आराधना की जाये तो ये हमारे सारे दुःख दर्द दूर कर देते है और इन्हें खुश करने का सबसे आसान तरीका शनि देव को तेल चढ़ाना है जिससे शनि की हम पर कृपा बनी रहती है। चाहे किसी पर उस समय साढ़े साती क्यों नहीं चल रहा हो।

लेकिन क्या आप जानते है की न्याय के देवता शनि देव को तेल चढाने की प्रथा कैसे शुरू हुई और क्यों इन्हें तेल अर्पण किया जाता है।

पौराणिक कथाओं के जब रावण अपने अहंकार में चूर था और उसने अपने बल से सभी ग्रहों को बंदी बना लिया था। शनिदेव को भी उसने बंदीग्रह में उल्टा लटका दिया था। उसी समय हनुमान जी भगवान राम के दूत बनकर लंका पहुंचे थे। रावण ने हनुमाजी की पूंछ में आग लगवा दी।

क्रोधित होकर हनुमान जी ने पूरी लंका जला दी थी लंका जल गई और सारे ग्रह आजाद हो गए, लेकिन उल्‍टा लटका होने के कारण शनि के शरीर में भयंकर पीड़ा हो रही थी और वह दर्द से कराह रहे थे। शनि के दर्द को शांत करने के लिए हुनमान जी ने उनके शरीर पर तेल से मालिश की और शनि को दर्द से मुक्त किया, उसी समय शनि ने कहा था कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा भक्ति से मुझ पर तेल चढ़ाएगा उसे सारी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी। तभी से शनिदेव पर तेल चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई।

 

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