क्या आपको भी है वसा से जुड़े ये भ्रम
क्या आपको भी है वसा से जुड़े ये भ्रम
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क्या आप अब तक इस असमंजस में हैं कि आहार में वसा का उपभोग सही है या गलत? तो यही समय है, अच्छे और बुरे के बीच फर्क कर सही के चुनाव का। वेबसाइट 'फीमेलफर्स्ट डॉट को डॉट यूके' के अनुसार, आहार विशेषज्ञ एमी मॉरिस ने वसा के उपभोग को लेकर कुछ बेहद आम मिथक और उनसे जुड़ी जानकारियां साझा की हैं-

वास्तविकता : शरीर के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए उपयुक्त वसा जरूरी है।

- उपयुक्त वसा आपके आहार में जरूरी पोषण उपलब्ध कराती है। शरीर को कुछ पोषक तत्वों के पाचन, नियमित हार्मोस के उत्पादन और वृद्धि तथा ऊत्तकों के नवनिर्माण के लिए उपयुक्त वसा की जरूरत होती है, क्योंकि शरीर इसके लिए जरूरी वसा का उत्पादन स्वयं नहीं कर सकता। इसलिए आहार में उपयुक्त वसा का सेवन बेहद महत्वपूर्ण है, जो अखरोट जैसी चीजों में पाए जाते हैं।

मिथक : शरीर हर तरह की वसा के प्रति एक ही तरह से प्रतिक्रिया देते हैं।

- आहार में शामिल हर प्रकार की वसा का शरीर पर एक समान प्रभाव नहीं होता। इसका उदाहरण नारियल का तेल है, जिसमें संतृत्प वसा होती है, जो शरीर में शुद्ध ऊर्जा के रूप में जाती है, न कि जमी हुई वसा के रूप में। इसके अलावा नारियल का तेल रक्त में शर्करा के स्तर को नहीं बढ़ाता है और मधुमेह के मरीजों के लिए नुकसानदेह नहीं होता।

वास्तविकता : संतृप्त वसा (वनस्पति तेल) बुरी होती है, इससे परहेज करना चाहिए।

-संतृप्त वसा के उपभोग से हर हाल में बचना चाहिए, क्योंकि शोध में भी यह सामने आया है कि इससे शरीर में अतिरिक्त वसा जमा होती है और व्यक्ति का वजन बढ़ता है। मांस और डेयरी उत्पादों में कम मात्रा में संतृत्प वसा होती है, जबकि बेक्ड खाद्य पदार्थो, तले हुए खाद्य पदार्थो में संतृप्त वसा सबसे अधिक पाया जाता है।

मिथक : ओमेगा-6 से भरपूर वसा वाले खाद्य स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं।

- प्रसंस्कृत बीज और वनस्पति तेल जिनका उपयोग खाना बनाने के लिए होता है, ओमेगा-6 वसा से भरपूर होते हैं। इनके बहुत ज्यादा इस्तेमाल से महत्वपूर्ण वसा का संतुलन बिगड़ता है और ओमेगा-6 एवं ओमेगा-3 का अनुपात इतना ज्यादा हो जाता है कि ओमेगा-3 वसा की कमी हो जाती है।

मिथक : वसा से दिल की बीमारियां होती हैं।

- 1950 से 1960 के बीच संतृप्त वसा को सेहत के लिए नुकसानदेह बताते हुए इसके उपभोग से बचने की सलाह दी जाती थी, क्योंकि शोधकर्ताओं को लगता था कि इससे दिल की बीमारियां होती हैं। लेकिन 2010 में 3,47,747 व्यक्तियों पर किए गए अध्ययन और शोध में सामने आया कि संतृप्त वसा के उपभोग का दिल की बीमारी से कोई वास्ता नहीं है।

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