सनातन शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि का खास महत्व है। यह तिथि न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसे कई महत्वपूर्ण पर्वों के लिए भी माना जाता है। कार्तिक माह के अंत में कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाती है। यह तिथि विशेष रूप से प्रभु श्री विष्णु और मां लक्ष्मी के आशीर्वाद के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। पंचांग के मुताबिक, 15 नवंबर को सुबह 06 बजकर 19 मिनट पर हो रही है. इस तिथि का समापन 16 नवंबर को अगले दिन देर रात्रि 02 बजकर 58 मिनट पर हो रहा है. ऐसे में 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा तथा इसी दिन साधक व्रत भी रख सकते हैं.
कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि
पूजा की तैयारी
कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें तथा स्वच्छता का ध्यान रखें। स्नान के बाद पीला वस्त्र धारण करें, जो भगवान विष्णु को प्रिय है।
पूजा विधि:
जल का अर्पण: नदी में स्नान कर के, वहां सूर्य देव को जल अर्पित करें। यह जल अर्पण आपके जीवन में सुख और शांति लाने का कार्य करता है।
मूर्ति स्थापना: श्रीहरि और मां लक्ष्मी की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें।
अर्पण सामग्री: फल, फूल, वस्त्र और अन्य पूजा सामग्री जैसे मिठाई आदि अर्पित करें। मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार करें।
दीप जलाना: दीप जलाकर आरती करें।
मंत्रोच्चारण: पूजा के दौरान मंत्रों का उच्चारण करें और ध्यान लगाएं। इस समय आप प्रभु से आशीर्वाद और कृपा की प्रार्थना करें।
दान-पुण्य: श्रद्धा अनुसार गरीबों में विशेष चीजों का दान करें। यह दान आपके पुण्य को बढ़ाता है और जीवन में खुशहाली लाता है।
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