आप सभी को बता दें कि हमारे शास्त्रों और धार्मिक मान्यताओं में पीपल के पेड़ को भी काफी महत्वपूर्ण दर्शाया गया है ऐसे में पीपल के पेड़ में देव निवास करते हैं. कहा जाता है पीपल के वृक्ष के भीतर देवताओं का वास होता है और गीता में तो भगवान कृष्ण ने पीपल को स्वयं अपना ही स्वरूप बताया है. ऐसे में आज हम आपको पीपल के पेड़ से जुडी कुछ बातें बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं.
जान लें ये बातें - आप सभी को बता दें कि हमारे पौराणिक धर्म ग्रन्थों में पीपल के पेड़ की पूजा करने के कुछ नियम बनाये गये है और जो व्यक्ति इन नियमों का पालन करके पीपल के वृक्ष की पूजा करता है उसका जीवन सफल हो जाता है. ऐसे में कहा जाता है रविवार के दिन पीपल की पूजा नहीं करनी चाहिए इससे घर में दरिद्रता आती है और इसके अलावा रात को आठ बजे के बाद पीपल के आगे दिया नहीं जलाना चाहिए क्योंकि आठ बजे के बाद देवी लक्ष्मी की बहन दरिद्रता का वास माना जाता है.
इसी के साथ पीपल घर से दूर होना चाहिए क्योंकि इसकी छाया घर पर पड़ने से खूब नुकसान हो सकते हैं. कहा जाता है शास्त्रों के अनुसार पीपल के वृक्ष को बिना प्रयोजन के काटना अपने पितरों को काट देने का समान है और ऐसा करने से वंश को नुकसान होते हैं. यज्ञादि पवित्र कार्यों के उद्देश्य से इसकी लकड़ी काटने से कोई दोष न होकर अक्षय स्वर्ग की प्राप्ति होती है पीपल सर्वदेवमय वृक्ष है, अत: इसका पूजन करने से समस्त देवता की पूजा हो जाती है.
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