आप सभी को बता दें कि आज सभी जगह दिवाली की तैयारियां हो रहीं हैं क्योंकि कल यानी 7 नवम्बर को दिवाली का पर्व है और यह पर्व बहुत ही ख़ास होता ही. ऐसे में इस पर्व पर दिन की शुरुआत इस मंत्र से की जानी चाहिए तो बहुत लाबाह मिलता है.
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी।।
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगंटीता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती।।
अर्थ - जो लाल कमल में रहती है, जो अपूर्व कांति वाली है, जो असह्य तेज वाली है, जो पूर्ण रूप से लाल है, जिसने रक्तरूप वस्त्र पहने हैं, जो भगवान विष्णु को अतिप्रिय है, जो लक्ष्मी मन को आनंद देती है, जो समुद्र मंथन से प्रकट हुई, जो विष्णु भगवान की पत्नी है, जो कमल से जन्मी है और जो अतिशय शून्य है, वैसी हे लक्ष्मी देवी! आप मेरी रक्षा करें.
कहा जाता है इस मंत्र को पूजन के समय भी कहना चाहिए और मां लक्ष्मी देवी से इस प्रकार प्रार्थना करते हुए उनका पूजन सही मुहूर्त पर करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होकर आपके घर में निवास करेंगी. अब आइए जानते हैं सुबह महालक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त.
अमृत चौघड़िया : सुबह 8.00 से 9.23 तक.
शुभ चौघड़िया : सुबह 10.47 से 12.10 तक.
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