दिवाली पर इस विधि-विधान से करें माँ लक्ष्मी की पूजा, दूर होंगे सारे दुःख
दिवाली पर इस विधि-विधान से करें माँ लक्ष्मी की पूजा, दूर होंगे सारे दुःख
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आप सभी को बता दें कि अमावस्या अर्थात लक्ष्मी पूजन के दिन सारे मंदिरों, दुकानों तथा घरों में श्रीलक्ष्मी पूजा की जाती है और साथ ही कहते हैं कि विधि-विधान से पूजा करने से महालक्ष्‍मी प्रसन्‍न होती हैं और सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं. तो आइए जानते हैं कैसे करते हैं पूजा. 

सबसे पहले लें संकल्प: श्री महालक्ष्‍मी की कृपा से मेरी/हमारी निर्धनता समाप्त हो और मुझे/हमें धन-संपत्ति, मांगल्य, ऐश्‍वर्य, कुल की वृद्धि, सुख-शांति आदि की प्राप्ति हो. इस हेतु मैं/हम लक्ष्मीपूजन और कुबेर पूजन करता हूं/करते हैं.

अब ध्यान लगाए: जिसकी कांति कपूर के समान शुभ्र है, जो शुभ्र वस्त्र परिधान की हुई हैं. विविध आभूषणों से विभूषित जो कमल में निवास करती हैं, जिनके मुख पर स्मित है, जिनका सौंदर्य शरद ऋतु की चंद्रकला समान है, जिनके नेत्र तेजस्वी हैं और चार भुजाएं हैं, जिनके दो करों में कमल हैं और जो दो हाथों से अभय एवं वरदान दे रही हैं, साथ ही दो हाथी अपने सूंड से जल छोडकर जिन्हें अभिसिंचित कर रहे हैं, ऐसी महालक्ष्मी का मैं ध्यान करता हूं.

अब आवाहन करें : हे महालक्ष्मी, श्री विष्णु के चरण कमलों से आप हमारे यहां पधारिए और अपनी इस पूजा को स्वीकार कीजिए.आसन: हे लक्ष्मी, आप कमल में निवास करती हैं अतः मुझ पर कृपा करने हेतु आप इस कमल में निवास कीजिए.

अब पाद्य: आपकी यात्रा के सर्व कष्ट दूर हों, इसलिए गंगोदक से युक्त नाना मंत्रों से अभिमंत्रित जल से आपके चरण पखारता हूं.

अब अर्घ्य: भक्त को उपकृत करनेवाली हैं. महालक्ष्मी, पापहारक और पुण्यप्रद इस अर्घ्य को स्वीकार कीजिए.

अब आचमन: हे जगदंबिके, आपको कपूर, अगर आदि से मिश्रित ठंडा और उत्तम जल आचमन के लिए अर्पित करता हूं, इसे स्वीकार कीजिए.

अब स्नान: हे महालक्ष्मी, आपको कपूर, अगर आदि से सुवासित तथा सर्व तीर्थों से लाया हुआ जल स्नान के लिए अर्पित करता हूं. इसे स्वीकार कीजिए.

अब पंचामृत: हे देवी, हमने दूध, दही, घी, मधु और शर्करायुक्त पंचामृत अर्पित किया है, स्वीकार कीजिए.

अब अभ्यंग स्नान: हे देवी, हमने आपके अभ्यंग स्नान हेतु सुगंधित उबटन, हलदी का चूर्ण तथा सुगंधी (इत्र) के साथ गुनगुने जल की व्यवस्था की है. कृपया इन्हें स्वीकार कीजिए.

अब गंधस्नान: हे देवी, हमने आपके स्नान के लिए कपूर, इलायची और अन्य सुगंधित द्रव्यों से युक्त जल भी स्नान के लिए रखा है, कृपया स्वीकार कीजिए.महाभिषेक: (अपने अधिकार के/अपनी परंपरा के अनुसार श्रीसूक्त/पुराणोक्त देवी सूक्त का पठन कर अभिषेक करें.)

अब वस्त्र: हे देवी, आपको यह तंतुमय कलात्मक उत्तम वस्त्र अर्पित है, इसे परिधान कीजिए.

अब कंचुकीवस्त्र: हे विष्णुप्रिया, मोतियों से युक्त सुखद और मूल्यवान चोली आपको अर्पित है, स्वीकार कीजिए.

अब गंध: अनेक नागों से रक्षित अत्यंत शीतल और सुगंधयुक्त यह चंदन स्वीकार कीजिए .

अब हल्दी कुमकुम: हे ईश्‍वरी, हम आपको हलदी-कुमकुम, अंजन, सिंदूर, अलता आदि सौभाग्यसूचक वस्तुएं अर्पित करते हैं. इसे स्वीकार कीजिए.

अब अलंकार: हे देवी, हम आपको रत्नजडित कंगन, बाजूबंद, मेखला (करधनी)कर्णभूषण, पायल, मोतियों की माला, मुकुट आदि अलंकार अर्पित करते हैं. आप इन्हें धारण कीजिए .

अब पुष्प: हे लक्ष्मीदेवी, जिस नंदनवन में भौंरों के झुंड-के-झुंड, वहां के फूलों की उत्तम सुगंध से मत्त होकर मंडराते रहते हैं, उस नंदनवन से ये फूल लाया हूं, इन्हें स्वीकार कीजिए .

अब अथांग पूजा: देवी के चरणों से मस्तक तक के अवयवों की पूजा करना. (‘पूजयामि’ कहने पर अक्षत अर्पित करना (चढाना).श्रियै नमः पादौ पूजयामि.
 लक्ष्म्यै नमः जानुनी पूजयामि.
 पद्मायै नमः ऊरू पूजयामि.
 धात्र्यै नमः कटिं पूजयामि.
 रमायै नमः उदरं पूजयामि.
 वरदायै नमः स्तनौ पूजयामि.
 लोकमात्रे नमः कंठं पूजयामि.
 चतुर्भुजायै नमः बाहु पूजयामि.
 ऋद्धयै नमः मुखं पूजयामि.
 सिद्द्यै नमः नासिकां पूजयामि.
 पुष्ट्यै नमः नेत्रे पूजयामि.
 तुष्टै नमः ललाटं पूजयामि.
 इंदिरायै नमः शिरः पूजयामि.
 सर्वेश्‍वर्यै नमः सर्वांगं पूजयामि॥
पत्रपूजा : अथ पत्रपूजा
(देवी को निम्नांकित वृक्षों के पत्ते अर्पित करें (चढाएं))श्रियै नमः . पद्मपत्रं समर्पयामि .
 लक्ष्मै नमः . दूर्वापत्रं समर्पयामि .
 पद्मायै नमः . तुलसीपत्रं समर्पयामि .
 धात्र्यै नमः . बिल्वपत्रं समर्पयामि .
 रमायै नमः . चंपकपत्रं समर्पयामि .
 वरदायै नमः . बकुलपत्रं समर्पयामि .
 लोकमात्रे नम: . मालतीपत्रं समर्पयामि .
 चतुर्भुजायै नमः . जातीपत्रं समर्पयामि .
 ऋद्ध्यै नमः . आम्रपत्रं समर्पयामि .
 सिद्ध्यै नमः . मल्लिकापत्रं समर्पयामि .
 पुष्ट्यै नमः . अपामार्गपत्रं समर्पयामि .
 तुष्ट्यै नमः . अशोकपत्रं समर्पयामि .
 इंदिरायै नमः . करवीरपत्रं समर्पयामि .
 हरिप्रियायै नमः . बदरीपत्रं समर्पयामि .
 भूत्यै नमः . दाडिमीपत्रं समर्पयामि .
 ईश्‍वर्यै नमः . अगस्तिपत्रं समर्पयामि .

अब धूप: हे देवी, अनेक वृक्षों के रस से उत्पन्न सुगंधित धूप, जो देवता, दैत्य और मानव को भी प्रिय है, आपको समर्पित करते हैं, ग्रहण कीजिए .

अब दीप: हे देवी, सूर्यमंडल, अखंड चंद्रबिंब और अग्नि के तेज का कारण यह दीप भक्तिभाव से आपको अर्पित करता हूं, इसे ग्रहण कीजिए .

अब नैवेद्य: लौंग-इलायची-शर्करायुक्त दूध तथा लड्डुओं का नैवेद्य दिखाएं (भोग लगाएं).

हे देवी, स्वर्ग, पाताल और मृत्यु लोकों के आधार अन्न और उससे बने सोलह प्रकार के नैवेद्य अर्पित हैं, स्वीकार कीजिए.

अब फल: हे देवी, यह फल हम आपको अर्पित करते हैं . इससे हमें प्रत्येक जन्म में अच्छे फल मिलें तथा हमारी मनोकामनाएं पूर्ण हों .

अब तांबूल (पान-सुपारी): हे देवी, मुख का भूषण, अनेक गुणों से युक्त, जिसकी उत्पत्ति पाताल में हुई है, ऐसे पान का बीडा आपको अर्पित है, ग्रहण कीजिए.आरती: हे देवी, चंद्र, सूर्य, पृथ्वी, बिजली और अग्नि में विद्यमान तेज आप ही का है . (देवी की घी के दीप से आरती करें, पश्‍चात कर्पूर-आरती करें . आरती करते समय आरती गाएं .)

अब कर्पूर: जो कर्पूरसमान गौरकांति से युक्त हैं, करुणा के अवतार हैं, त्रैलोक्य के सार हैं, जिनके गले में नागराज की माला है, जो सदैव (हमारे) हृदयकमल में वास करते हैं, ऐसे पार्वतीसहित भगवान शंकर को मैं नमस्कार करता हूं .

अब नमस्कार: हे देवी, आप इन्द्रादि देवतागणों की; महादेव, महाविष्णु और ब्रह्मदेव की शक्ति हैं . आप का स्वभाव मंगलकारी और सुखकारी है . आपको हम सब अत्यंत विनम्रता से निरंतर नमस्कार करते हैं .

अब प्रदक्षिणा: इस प्रदक्षिणा के प्रत्येक पग पर, इस जन्म में तथा पिछले सभी जन्मों में हुए पाप आपकी कृपा से नष्ट हों . आप ही हमारा आश्रय और रक्षक हैं, अन्य नहीं . इसलिए हे मां, करुणभाव से आप हमारी रक्षा कीजिए .

अब पुष्पाजंलि: विष्णु की धर्मपत्नी, हे लक्ष्मी, यह पुष्पांजलि स्वीकार कीजिए और हमें इस पूजा का अभीष्ट फल प्रदान कीजिए.प्रार्थना: हे विष्णुप्रिया, आप वर देनेवाली हैं; आपको नमस्कार करता हूं. आपकी शरण में आए जीवों को जो गति प्राप्त होती है, वही गति मुझे आपकी पूजा से प्राप्त हो. जो देवी लक्ष्मी (सौंदर्य) रूप से सर्व जीवों में निवास करती हैं, उन्हें मैं तीन बार नमस्कार करता हूं. संपत्ति के अधिपति हे कुबेर, आपको भी मैं नमस्कार करता हूं. आपकी कृपा से मुझे धनधान्य और संपत्ति प्राप्त हो.

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