नई दिल्ली : चुनाव पूर्ण सर्वेक्षणों के प्रकाशन और प्रसारण पर प्रतिबंध वाली याचिका को देश की शीर्ष अदालत ने सुनवाई के योग्य न मानते हुए इसे ख़ारिज कर दिया. यह याचिका वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की थी.इस याचिका में चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने से लेकर सभी चरणों के चुनाव खत्म होने तक ओपिनियन पोल पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग की गई थी.
बता दें कि वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर इस याचिका में उनकी ओर से वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि अनियमित जनमत सर्वेक्षण आगामी चुनावों को लेकर गलत और झूठे अनुमानों का प्रसार करते हैं. यह मतदाताओं के व्यवहार को प्रभावित तो करता ही है,साथ ही संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत सूचना प्राप्त करने की आजादी और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव की अवधारणा को भी नुकसान पहुंचाता है.
उल्लेखनीय है कि इस याचिका पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविल्कर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा,कि ‘कई लोग विशेषज्ञ होते हैं. यह किसी का व्यक्तिगत अधिकार है कि वह हालात की विश्लेषण करे और अपना मत दे. भले ही यह कोई घटना हो या चुनाव ’पीठ ने याचिका के स्वरूप पर सवाल उठाते हुए कहा कि हम एग्जिट और ओपिनियन पोल को लेकर चिंतित नहीं हैं. कोर्ट ने इसमें हस्तक्षेप नहीं करने की बात कहते हुए इस याचिका को ख़ारिज कर दिया.
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