नई दिल्ली: 25 दिसम्बर को पीएम मोदी ने 15-18 वर्ष के बच्चोंं को 3 जनवरी से कोरोना की वैक्सीन दिए जाने का ऐलान किया था. किन्तु इस घोषणा के बाद देश में एक नई बहस छिड़ गई है. जिसके तहत अभिभावकों के मन में यह सवाल उठने लगा है कि आखिर पीएम मोदी ने पहले 15 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को ही टीका दिए जाने का ऐलान क्यों किया है.
अभिभावकों का कहना है कि टीकाकरण के इस कार्यक्रम में 12 से 18 साल तक के बच्चों को भी शामिल किया जा सकता था, किन्तु अभिभावकों के इन सवालों के बीच एक्सपर्ट्स ने सरकार के इस फैसले को सही करार दिया है. मीडिया से बात करते हुए एक्सपर्ट्स ने कहा है कि 15-18 वर्ष के बच्चे ज्यादा बीमार होते हैं. ऐसे में इस आयु वर्ग को पहले वैक्सीन दिए जाने का फैसला सही है. लेंसेट कमीशन आफ कोविड इंडिया टास्क फोर्स की सदस्य डॉ सुनीला गर्ग ने मीडिया को बताया कि इस फैसले के पीछे कई तकनीकी कारण हैं, जिसे ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है.
उन्होंने कहा कि इस आयुवर्ग के बच्चे ज्यादा बीमार होते हैं. जिसके कारण सबसे पहले इनका चयन किया गया है. डॉ सुनीला गर्ग ने बताया कि बच्चे जैसै-जैसै बड़े होते हैं. उसके बाद वह कई तरह की बीमारी का शिकार होते जाते हैं. जैसे यह देखा गया है कि 15 वर्ष के बाद मोटापा, माइग्रेन और कई किस्म की बीमारियां बच्चों को घेरने लगती है. इसे ही ध्यान में रखते हुए टीकाकरण के लिए इस उम्र के बच्चों को सबसे पहले रखने का फैसला लिया गया है.
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