ईश्वर का किया मात्र एक सच्चा ध्यान मानो आपका हो गया कल्याण
ईश्वर का किया मात्र एक सच्चा ध्यान मानो आपका हो गया कल्याण
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हिन्दू धार्मिक ग्रंथ श्रीमद् भागवत् पुराण में वर्णित है कि इस कलियुग में भगवान की कृपा पाना अन्य तीन युगों की अपेक्षा बहुत ही सरल है.
कलियुग केवल नाम अधारा ,
सुमिर-सुमिर नर उतरहि  पारा,


इस कलयुग में भगवान के नाम का स्मरण करने मात्र से सब काम बन जाता है. और जीव इस संसार सागर के आवागमन से मुक्त हो जाता है .इस संसार में आवागमन का चक्रण बहुत ही ख़राब है.क्योंकि इस संसार में आने और जाने में जीव को बहुत कष्ट तो होता ही है साथ ही साथ यहां जीवन व्यतीत करने से सुख , दुःख , मान ,सम्मान,मोह , माया आदि के आने-जाने से भी जीव प्रभावित होता है. इस संसार के आवागमन से जीव तभी मुक्त हो सकता है जब वह भगवान का सच्चे मन के साथ ध्यान करे .

हिंदू पुराणों में यह बात बताई गई है कि सतयुग में समाधि, रूप, ध्यान, योग से त्रेतायुग में बड़े-बड़े यज्ञों से और द्वापर युग में विधिपूर्वक पूजा अर्चना करने से भगवान प्रसन्न होते थे. वहीं कलयुगकी बात करें तो इस युग में केवल हरि नाम का जप करने से भगवान सहजता से प्राप्त हो जाते है और व्यक्ति को इस संसार से मुक्ति मिल जाती है .बस इसके लिए आप पूरी तरह से ईश्वर पर आस्था और विश्वास रखें.

भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद् भागवत में कहा है -

य: पठते् प्रयतो नित्यं श्लोकं भगवतं सुतः

अष्टादशपुरणानां फलमाप्नोति मानवः

जो प्रतिदिन पवित्र चित्त होकर भागवत के एक श्लोक का पाठ करता है, वह मनुष्य अठारह पुराणों के पाठ का फल हासिल करता है.
ग्रंथों में वर्णित है की यदि जो मई मानव मृत्यु के समय भगवान का नाम लेता है ,उसकी अंतिम सांस के साथ भगवान लेता है तो निश्चित रूप से उसे सद गति मिलती है .

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