आप सभी को पता ही होगा कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धन की देवी के उत्सव का प्रारंभ होने के कारण इस दिन को धनतेरस के नाम से पुकारा जाता है. कहते हैं धनतेरस को धन त्रयोदशी व धन्वन्तरी त्रयोदशी के नाम से भी पहचानते हैं और धनतेरस पर पांच देवताओं, गणेश जी, मां लक्ष्मी, ब्रह्मा,विष्णु और महेश की पूजा करते हैं.
वहीं कहते हैं इन पांचों दिन पांच-पांच दीए जलाने से पांचों देवताओं की कृपा मिल जाती है और धनतेरस के अगले दिन छोटी दीपावली, हनुमान जयंती, और उसके अगले दिन दीपावली, फिर गोवर्द्धन पूजा और पांचवें दिन भाईदूज मनायी जाती है. वहीं इस दिन लक्ष्मी जी के स्वागत के लिए अपने घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है और रंगोली बनाने के साथ ही महालक्ष्मी के दो छोटे-छोट पद चिन्ह लगाकर पूजा की जाती है. कहा जाता है धनतेरस पर माता लक्ष्मी के अलावा धन्वंतरी,कुबेर की भी पूजा भी होती है.
ऐसे में धनवंतरी इसी तिथि को समुद्र मंथन से अवतरित हुए थे और प्राचीन काल में लोग इस दिन नए बर्तन खरीदकर उसमें क्षीर पकवान रखकर धनवंतरी भगवान को भोग लगा दिया करते थे. वहीं धनतेरस पर पांच देवताओं, गणेश जी, मां लक्ष्मी, ब्रह्मा,विष्णु और महेश की पूजा कर उन्हें खुश किया जाता है.
धनतेरस पर भूलकर भी ना जलाएं ऐसा दीपक वरना होगा सर्वनाश