सिरदर्द, पेटदर्द भी है बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण, इस तरह से उसे बचा सकते हैं आप
सिरदर्द, पेटदर्द भी है बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण, इस तरह से उसे बचा सकते हैं आप
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अधिकतर माता-पिता को ऐसा नहीं लगता कि बच्चों में भी डिप्रेशन (अवसाद) की समस्या हो सकती हैं, हालाँकि करीब पांच प्रतिशत बच्चे और किशोरों को डिप्रेशन की समस्या हो सकती हैं। साल 1980 से पहले बच्चों में होने वाले डिप्रेशन को रोग की तरह नहीं पहचाना गया था, हालाँकि आज इसको बच्चों में होने वाली गंभीर बीमारी माना जाता है। आप सभी जानते ही होंगे डिप्रेशन एक ऐसी स्थिति है जो उदासी से ज्यादा गंभीर होती है और यदि यह समस्या आपके बच्चे को हो जाए तो इससे उसकी कार्य क्षमता कम हो जाती है। वैसे इसका इलाज संभव है और आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं।

बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण-
खाने की आदत में बदलाव, बच्चा ज्यादा या कम खाने लगता है,
नींद की आदत में बदलाव, जैसे – ज्यादा या कम सोना।
लगातार उदास और निराश महसूस करना,
किसी भी चीज पर दिमाग को एकाग्र करने में मुश्किल होना।
थकान और कमजोरी महसूस होना।
चिड़चिड़ापन होना,
बिना किसी वजह के बच्चे का गुस्सा होना,
लगातार मूड में बदलाव होना,
रोजाना के कार्यों में रूचि न लेना,
आत्मविश्वास में कमी आना।
ज्यादातर सिरदर्द, पेटदर्द आदि से परेशान रहना।
हर चीज के लिए खुद को दोषी मानना,
सामाजिक न होना या समाज के लोगों के साथ मिलना जुलना कम कर देना,  
 रोना, आदि।

बच्चों का डिप्रेशन से बचाव -

बच्चों की शुरूआती जिंदगी में ज्यादा बदलाव न करें : जिस समय बच्चा छोटा हो तो घर व उसके स्कूल को बार-बार न बदलें। इससे बच्चा मानसिक रूप से तनाव में आ सकता है।


बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार करें : ध्यान रहे बच्चों को घर में अच्छा माहौल दें, ऐसा होने से बच्चे और माता-पिता के बीच गहरा और आत्मीय रिश्ता बनता है।


ज्यादा देखभाल करने वालों का साथ रखें : ध्यान रखे बच्चे की ज्यादा देखभाल करने वाले जैसे – शिक्षक, रिश्तेदार, या आस पड़ोस के व्यक्ति आदि के साथ बच्चे को ज्यादा से ज्यादा समय बिताने के लिए कहें।


बच्चे के साथ हर विषय पर बात करें : जी दरअसल कई बार बच्चे अपने मन की किसी बात को संकोच के कारण माता पिता को नहीं बता पाते हैं, ऐसे अधिकतर बच्चे डिप्रेशन का शिकार होने जाते हैं। इस वजह से आप बच्चे के साथ हर विषय पर बात करने की कोशिश करें, ताकि बच्चा बिना किसी संकोच के आपको अपनी सारी परेशानी बता सके।


बच्चे की जरूरतों को समझें : ध्यान रखे माता-पिता को बच्चे की जरूरतों को समझना चाहिए और बच्चे को प्यार के साथ ही स्वतंत्रता भी दें, ताकि वह सही और गलत के बीच के अंतर को समझ सके।

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