आग लगाकर जलना होगा/कदम मिलाकर चलना होगा।
आग लगाकर जलना होगा/कदम मिलाकर चलना होगा।
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8 नवंबर 2016 का दिन। रात के करीब 7:30 बज रहे है। उसी समय टीवी चैनल्स पर एक ब्रेकिंग न्यूज हाहाकार मचाती हुई आती है, ‘‘रात आठ बजे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को संबोधित करेंगे।’’ 

जैसे ही टीवी चैनल्स पर यह ब्रेकिंग आती है, वैसे ही देश के करोड़ों सक्रिय दिमागों की नजर इस ब्रेकिंग पर ठहर जाती है। उनके दिमाग के चतुर कीड़े सक्रिय होने लगते है। वह इस ब्रेकिंग न्यूज़ के मायने निकालने लगते है। किसी ने इस ब्रेकिंग को पाकिस्तानी की नई गुस्ताखी के इर्द-गिर्द जोड़ा तो किसी ने इसे हिलेरी और ट्रंप के महायुध्द के घोषित रिजल्ट पर मोदीजी की प्रतिक्रिया देने का अंदाजा लगाया। 

खैर, इस ब्रेकिंग के बाद रात 8 बजे जो ‘मोदी बम’ फटा उससे आप सब वाकिफ है। मोदी ने अपने जिस चिर-परिचित अंदाज में इस महत्वपूर्ण, ऐतिहासिक और साहसिक फैसले को सुनाया तो देश उनका फैन हो गया। जो आम थे वो अपना उत्साह जाहिर करने के लिए पेट्रोल पंप पर पेट्रोल भराने पहुंच गए, जो चोर थे वो सोने की दुकानों पर खरीददारी करने पहुंच गए। यही आलम था उस रात !

वैसे, देश में नोटबंदी लागू हुए एक महीने से ज्यादा समय बीत चुका है। इस एक महीने के दौरान बैंक और एटीएम के बाहर लगी लंबी-लंबी कतारें देश की आम लोगों की परेशानी बयान कर रही है। लेकिन इसका एक दूसरा पक्ष भी है जिसे देश और दुनिया के तमाम अर्थशास्त्री मान रहे हैं। पूर्व भारतीय बैंकर और ब्रिक्स बैंक प्रमुख केवी कामथ के अनुसार यह नोटबंदी लंबी अवधि में देश की सरकार, अर्थव्यवस्था और आम आदमी को बड़ा फायदा पहुंचाएगी।  

तो आइए गौर करेंः-
1. भ्रष्ट का दंश होगा खत्म
देश में भ्रष्टाचार आज सबसे बड़ी चुनौती है। आम आदमी के साथ, पढ़े लिखें युवा भी इससे प्रभावित है। देश में बिना रिश्वत के हर काम असंभव नजर आने लगे है। ऐसे समय में यह फैसला एक ऐतिहासिक निर्णय साबित होगा। आंकड़ों की माने तो देश में 500 और 1000 रूपये की प्रतिबंधित करेंसी कुल करेंसी की 85 फीसदी थी। यह दोनों करेंसी देश में भ्रष्टाचार की पोशाक मानी जाती रही है। इससे देश में कालेधन के रूप में जमा धन स्वतः खत्म हो गया। 

2. नकली नोटों पर लगाम
देश की सबसे बड़ी समस्या थी नकली करेंसी। सीमापार से भी देश में नकली करेंसी का प्रवाह हो रहा था। नकली करेंसी हमेशा बड़े नोट यानि 500 और 1000 के नोटों में आती थी। नोटबंदी से यह नकली करेंसी एक झटके में देश से साफ हो गई। वहीं अगले कई सालों तक देश की अर्थव्यवस्था नकली करेंसी से सुरक्षित रहने की संभावना है। 

3.कैशलेस इकोनॉमी का युग
नोटबंदी के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद देश में कैशलेस इकोनॉमी का चलन बढ़ने की पूरी संभावना है। इससे करेंसी पर देश की निर्भरता कम होगी और आरबीआई और अन्य बैंकों के साथ केन्द्र सरकार को करेंसी संचालन में कम खर्च करना पड़ेगा। इसका फायदा सरकार को ज्यादा से ज्यादा रेवेन्यू में होगा, वहीं आम आदमी को यह फायदा होगा कि उसका पैसा सुरक्षित रहेगा। 

यह भी होंगे फायदें: 
-रियल एस्टेट सेक्टर में आएगी पारदर्शिता।
-देश से कालाधन होगा खत्म।
-बंद होगी समानांतर इंकोनॉमी। 
-फाईनेंशियल सेविंग में होगा इजाफा।
-टैक्स बेस बढ़ेगा। 
-बैंकों की कमाई बढ़ेगी। 
-सस्ता होगा कर्ज। 

इन बाधाओं से निपटने की होगी चुनौतीः-

यह होगी कठिनाइयां
नोटबंदी के बाद आम बाधाएं जैसे बैंक में पैसा जमा कराने और निकालने के लिए लंबी-लंबी लाईन अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है। वहीं एटीएम में कैश नहीं मिलने की समस्याएं भी बड़े शहरों में कम हुई है लेकिन छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में ज्यो की त्यों है। वहीं दूसरी तरफ, सरकार के कदम से मंदी आने का खतरा है। रोज़गार, उत्पादन, खपत और निवेश सबमें कमी आएगी।  साथ ही गरीब आदमी की परेशानी और बढ़ेगी। पैसे की किल्लत पैदा होगी। लोग सोने की तरफ झुकेंगे, विदेशी मुद्रा ज्यादा रखेंगे जिसका असर ये होगा कि अर्थव्यवस्था को धक्का लगेगा। 

दोषियों को मिले सजा
अभी आए दिन छापों में करोड़ो रूपए की करेंसी सामने आ रही है। ऐसे में मोदी सरकार की सबसे बड़ी चुनौतियां होगी इन दोषियों को सजा देने की। इसके लिए सरकार को स्पष्ट नीतियां बनाने की जरूरत है। यदि टैक्स भरकर ही बेईमान लोग बच जाएंगे तो मोदी सरकार के उपर से लोगों का विश्वास उठ जाएगा। ऐसे में दोषियों को कड़ी सजा देने की जरूरत है। 

वैसे, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जब भी चिंता में डूबते थे, राजनीति से उबाऊ महसूस करते उनकी कविताएं उनका हौसला बढ़ाती थी। देश के वर्तमान परिदृश्य  को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए अटल जी कीयह कविता  प्रेरणास्त्रोत के तौर पर देखी जा सकती है:-

बाधाएं आती हैं आएं
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों में हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा। 

श्याम दांगी

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