नई दिल्ली : 16 दिसंबर 2012 की वह रात देश की राजधानी दिल्ली के लिए सबसे काली साबित हुई. और निर्भया गैंगरेप की गूंज ने देशभर में हाहाकार मचा दिया था. तब लगने लगा था की देश में एक नई क्रांति आने वाली है लेकिन ऐसा कुछ नही हो सका. आज भी हालात जस के तस है. अपने युवक दोस्त के साथ फिल्म देखकर घर लोट रही निर्भया को चलती बस में कुछ दरिंदो ने हवस का शिकार बनाया. उसके साथ इतना बर्बर जघन्य अपराध किया की उसने जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ते हुए दम तोड़ दिया.
दिल्ली निर्भया गैंगरेप को आज 3 साल पुरे हो चुके लेकिन इन तीन सालो में अपराध कम होने की बजाय बढे है. आज भी दिल्ली की सड़को पर हैवानियत रात 9 बजे के बाद महिलाओ पर हावी हो जाती है. इस घटना के बाद देश भर में महिलाओ पर हो रहे योन अपराधो का जमकर विरोध हुआ. लगने लगा था की कानून में बदलाव होगा और महिलाओ को सुरक्षा मिलेगी लेकिन अफ़सोस ऐसा कुछ नही हो पाया.
आज भी दिल्ली में प्रशासन की नाक के तले हर रात किसी न किसी युवती की आबरू को नीलाम किया जाता है लेकिन न तो केंद्र सरकार ने कोई कदम उठाए है और न ही दिल्ली सरकार ने. हाल ही में दिल्ली में एक मासूम बच्ची को स्कूल जाते समय अगवाह किया गया. जबरन गाड़ी में ठूसकर उसे कुछ वहशी दरिंदो ने हवस का शिकार बनाया. आखिर कब तक निर्भया कांड दोहराए जाएंगे कब तक पुलिस प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेगा.