दिल्ली शराब घोटाला: केस लड़ने के लिए सरकारी खजाने से दिए गए 28 करोड़, कांग्रेस नेता बने AAP के वकील
दिल्ली शराब घोटाला: केस लड़ने के लिए सरकारी खजाने से दिए गए 28 करोड़, कांग्रेस नेता बने AAP के वकील
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नई दिल्ली: दिल्ली का शराब घोटाला न सिर्फ प्रदेश की अरविंद केजरीवाल सरकार बल्कि वहां के सरकारी खजाने पर भी भरा पड़ रहा है। हाल ही में सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार शराब घोटाले में पैरवी करने वाले वकीलों को 25 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान कर चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 18 माह में केजरीवाल सरकार ने वकीलों की फीस के तौर पर 28.10 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।

मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि शराब घोटाले की पैरवी करने के लिए केजरीवाल सरकार द्वारा कांग्रेस नेता और पेशे से वकील अभिषेक मनु सिंघवी को 18.97 करोड़ रुपए प्रदान किए गए हैं। वहीं, भ्रष्टाचार के मामले में बीते 7 महीनों से जेल में कैद जेल मंत्री सत्येंद्र जैन की पैरवी करने वाले वकील राहुल मेहरा को 5.30 करोड़ रुपए दिए गए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि सिंघवी को वर्ष 2021-22 के दौरान, पहले तो 14.85 करोड़ रुपए दिए गए और बाद में फिर 4.1 करोड़ रुपए प्रदान किए गए। वहीं, मेहरा का भुगतान, जो 2020-21 में बयान की व्यय सूची में 2.4 लाख रुपए के तौर पर दर्शाया गया था, 2021-22 में बढ़कर 3.9 करोड़ रुपए हो गया और वर्तमान में 1.3 करोड़ रुपए दर्ज किया गया।

सूत्रों के हवाले से यह भी बताया गया है कि शराब घोटाला सामने आने से पहले, दिल्ली में AAP सरकार का कुल खर्च सिर्फ 6.70 करोड़ रुपए था। इसमें, ज्यादातर खर्च सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) और स्वास्थ्य विभाग के लिए खर्च किया जाता था। 

क्या है दिल्ली का शराब घोटाला:-

मुख्य सचिव की रिपोर्ट के मुताबिक, केजरीवाल सरकार द्वारा लाइ गई नई आबकारी नीति के अंतर्गत शराब कारोबार में गुटबाजी और एकाधिकार चल रहा था। यह भी आरोप लगाया गया है कि नई शराब नीति के तहत शर्तों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों को भी शराब के लाइसेंस अवैध तौर पर वितरित किए गए थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना की अनिवार्य स्वीकृति के बगैर ही आबकारी नीति में परिवर्तन किए थे। 

मनीष सिसोदिया ने शराब विक्रेताओं द्वारा लाइसेंस के लिए भुगतान की जाने वाली लाइसेंस फीस पर 144.36 करोड़ रुपए की रियायत दी थी। शराब विक्रेताओं ने यह छूट कोरोना महामारी के नाम पर प्रदान की गई थी। इतना ही नहीं, सिसोदिया ने बीयर पर प्रति पेटी 50 रुपए के आयात पास शुल्क को भी ख़त्म कर दिया था। इसके साथ ही, विदेशी शराब की कीमतों में संशोधन करके शराब विक्रेताओं को अनुचित तरीके से फायदा दिया था। CBI द्वारा दर्ज की गई FIR के मुताबिक, एल-1 लाइसेंस अवैध तौर पर जारी किए गए थे। इसके लिए वकायदा रिश्वत ली गई थी। यह भी पता चला है कि एक व्यापारी ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के सहयोगी द्वारा संचालित कंपनी को 1 करोड़ रुपए रुपए दिए थे। जाँच में यह भी खुलासा हुआ था कि L-1 लाइसेंस के लिए व्यापरियों से करोड़ों रुपए लिए जा रहे थे। बता दें कि, शराब नीति के तहत घोटाले के आरोप को सीएम केजरीवाल लगातार नकार रहे थे लेकिन जैसे ही इस संबंध में जांच के आदेश हुए, दिल्ली सरकार ने फ़ौरन अपनी शराब नीति वापस ले ली और पुरानी नीति लागू कर दी। ऐसे में दिल्ली सरकार पर शक और गहरा गया कि, अगर कोई घोटाला नहीं था, तो नीति वापस क्यों ली गई ?

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