नई दिल्ली : अंततः दिल्ली हाई कोर्ट ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में रखने से संबंधित संगठन की याचिका पर सुनवाई करने को सहमत हो गया .इस मामले में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल ने भी वैवाहिक बलात्कार के खिलाफ अपने विचार प्रकट किये तो कम्युनिस्ट नेत्री कविता कृष्णन नाराज हो गई.
गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने गैर सरकारी संगठनों आरआइटी फाउंडेशन, आॅल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमन्स एसोसिएशन की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी है. याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि धारा 375 (बलात्कार का अपराध) पतियों द्वारा बिना सहमति के पत्नी से यौन संबंध बनाना यौन उत्पीड़न का शिकार हो रही विवाहिताओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण है. एक घटना में महिला याचिकाकर्ता की वकील कोलिन गोंजाल्विस ने दलील दी थी कि विवाह को ऐसे नहीं देखा जा सकता कि यह मर्जी से पतियों को जबरन संबंध बनाने का अधिकार दे देता है.उन्होंने कहा कि विवाह को पति को छूट के साथ अपनी पत्नी का जबरन बलात्कार करने का लाइसेंस दिए जाने के तौर पर नहीं देखा जा सकता और एक विवाहित महिला को अविवाहित महिला की तरह ही अपने शरीर पर पूरे नियंत्रण का समान अधिकार है.
बता दें कि इस विषय पर स्वराज कौशल ने अपने ट्वीटस में वैवाहिक बलात्कार के खिलाफ विचार प्रकट कर लिखा है वैवाहिक बलात्कार जैसी कोई चीज नहीं है. हमारे घर पुलिस स्टेशन नहीं बनने चाहिए.अगर ऐसा होता है तो घरों से ज्यादा पति जेलों में मिलेंगे. वहीं केंद्र ने भी याचिकाओं का विरोध कर कहा कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, क्योंकि ऐसा होने से विवाह की संस्था की बुनियाद हिल जाएगी और यह पतियों के उत्पीड़न का आसान साधन बन जाएगा.
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