गरीबों से 'झूठा वादा' कर बुरे फंसे केजरीवाल, दिल्ली हाई कोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार
गरीबों से 'झूठा वादा' कर बुरे फंसे केजरीवाल, दिल्ली हाई कोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार
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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार (27 सितंबर 2021) को सिंगल जज के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें सीएम अरविंद केजरीवाल का कोरोना काल में गरीब किराएदारों को भुगतान करने का वादा लागू करने योग्य कहा गया था। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने कहा कि इस फैसले पर तब तक रोक लगाई जाती है, जब तक मामले की अगली सुनवाई नहीं हो जाती। इस मामले में अगली सुनवाई 29 नवंबर 2021 को होगी। न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह ने 22 जुलाई के आदेश में उस फैसले को लागू करने योग्य बताया था, जिसमें सीएम केजरीवाल ने कहा था कि वह उन किराएदारों के किराए का भुगतान करेंगे, जो किराया चुकाने में असमर्थ हैं।

29 मार्च 2021 को कोरोना महामारी के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक प्रेस वार्ता में कहा था कि दिल्ली सरकार गरीब किराएदारों की ओर से किराए का भुगतान करेगी। अगर कोई किराएदार किराए का भुगतान करने में असमर्थ है। हालाँकि, यह फैसला लागू नहीं किया गया था, जिसको लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल हुई है। दिल्ली सरकार ने न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ ने कहा कि, 'ऐसा कोई वादा नहीं किया गया था। हमने केवल इतना कहा था कि प्रधानमंत्री के आदेश का पालन करें। हमने मकान मालिकों से किराए के लिए किराएदारों को विवश न करने को कहा था और ये भी कहा था कि यदि किराएदारों को कोई साधन नहीं मिलते हैं तो सरकार इस पर गौर करेगी।'

इस पर अदालत ने पूछा कि, 'तो क्या आपका इरादा भुगतान करने का नहीं है? यहाँ तक कि एक फीसदी भी नहीं?' अदालत ने कहा कि, 'यह बेहद हैरानी की बात है कि इतनी कम रकम के लिए दिल्ली सरकार जो सभी राज्यों में अपने आपको सबसे बेहतर और सबसे ज्यादा बजट वाला होने का दावा करती है, वो मना कर रही है।” इस पर मनीष वशिष्ठ ने कहा कि, 'सिर्फ तभी जब माँग हो।' उन्होंने दावा किया कि कोई भी शख्स उनके पास राहत माँगने नहीं आया। वहीं, याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए वकील गौरव जैन ने कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल के पास किराए का भुगतान करने का कोई साधन नहीं है। बता दें कि न्यायमूर्ति सिंह ने उस दौरान दिल्ली सरकार को मुख्यमंत्री द्वारा किए गए वादे को पूरा करने के लिए एक नीति तैयार करने का आदेश दिया था। उन्होंने 22 जुलाई 2021 को अपने आदेश में कहा था कि अरविंद केजरीवाल का प्रेस वार्ता की गई, वादा नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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