नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को निजता के अधिकार के हनन को लेकर एक NGO की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जवाब देने के लिए कहा है. जनहित याचिका में कहा गया है कि केंद्र के सर्विलांस सिस्टम (सेंट्रलाइज्ड मॉनिटरिंग सिस्टम, नेटवर्क ट्रैफिक एनालिसिस और नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड) से निजता के अधिकार का हनन होगा.
दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जलान की बेंच ने एक गैर सरकारी संगठन (NGO) की जनहित याचिका पर गृह मंत्रालय, सूचना एंव प्रौद्योगिकी मंत्रालय, कानून और न्याय मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए अपना स्टेंड रखने के लिए कहा है. इस मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी 2021 को होगी. इस जनहित याचिका में कहा गया है कि इन सर्विलांस सिस्टम की सहायता से केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियां सभी प्रकार की फोन पर होने वाली बाचीत को मॉनिटर कर सकती है, जो किसी भी नागरिक के मौलिक अधिकार का हनन है.
इस जनहित याचिका को वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने फाइल किया है. एनजीओ की उच्च न्यायालय से मांग है कि वो केंद्र को सभी तरह के सर्विलांस प्रोजेक्ट सेंट्रलाइज्ड मॉनिटरिंग सिस्टम, नेटवर्क ट्रैफिक एनालिसिस और नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड को बंद करने का निर्देश दें.
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा बीपीसीएल के लिए लगाई जाएंगी तीन प्रारंभिक बोलियां
रिलायंस इंडस्ट्रीज लगातार दूसरे साल फॉर्च्यून इंडिया-500 की लिस्ट में सबसे ऊपर दर्ज किया नाम
नवंबर के बाद टाटा मोटर्स ने किया वाहन की बिक्री में 4% से अधिक का इजाफा