नई दिल्ली : हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से खुशी पहुंचाई गई है। दरअसल यह खुशी न्यायालय के एक निर्णय से वीरभद्र सिंह को हुई है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की याचिका पर न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय से करीब 6 सप्ताह में उत्तर मांगा। दिल्ली उच्च न्यायालय के प्रवर्तन निदेशालय को इस मामले से संबंधित दस्तावेज की प्रति वीरभद्र सिंह को उपलब्ध करवाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। कार्रवाई को लेकर 6 सप्ताह में जवाब मांगा गया है।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने याचिका दायर करते हुए ईडी की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग भी की थी। बीते महीने वीरभद्र सिंह के विरूद्ध प्रवर्तन निदेशालय ने समन जारी किया। वीरभद्र सिंह और उनके सहयोगियों को मनी लाॅन्डरिंग के मसले पर एजेंसी के सामने पेश होने की बात रखी गई थी। ईडी ने वीरभद्र सिंह के विरूद्ध मनी लाॅन्डरिंग का मामला दर्ज कर लिया था।
वीरभद्र सिंह के विरूद्ध केंद्रीय जांच ब्यूरो में एक आपराधिक मामले पर संज्ञान लिया गया। ईडी ने मनी लाॅन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के अंतर्गत आरोप दायर किए हैं। दरअसल इस मामले में जांच के दौरान यह जानकारी मिली थी कि वीरभद्र और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा 2009 व 2011 के मध्य ज्ञात स्त्रोतों से अधिक 6.1 करोड़ रूपए जमा कर लिए गए।
इस तरह की अवधि में वीरभद्र केंद्रीय इस्पात मंत्री बनाए गए थे। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह और बीमा एजेंट आनंद के भाई सीएल के विरूद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत एफआईआर दर्ज कर दी गई।