घर में हम सभी दीपक जलाते हैं. ऐसे में कहा जाता है दीपक को जलाने से ईश्वर की कृपा, ऊर्जा और समृद्धि सब कुछ मिल सकता है और कार्तिक मास में किया गया दीपदान कभी भी निष्फल नहीं होता है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं दीपदान में क्या-क्या सावधानी रखनी चाहिए.
दीपदान में ये सावधानियां बरतें :
कहा जाता है दीपक जलाते समय सर खुला न रखें. वहीं पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर मुह करके ही दीपक जलाएं I
कहते हैं कभी भी घर में सरसों के तेल का दीपक न जलाएं, घर में तिल के तेल का या घी का दीपक जलाएं I
ऐसा भी कहा जाता है दीपक को मुह से फूंककर न बुझाएं, अगर बुझाना ही है तो आंचल या कपड़े से हवा करके बुझाएं ी
दीपदान काल -
ऋतु-दीपदान हेतु बसन्त, हेमन्त, शिशिर, वर्षा व शरद ऋतु उत्तम मानी जाती है.
मास-वैशाख, श्रावण, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन मास श्रेष्ठ कहे जाते हैं.
पक्ष-शुक्ल पक्ष दीपदान के लिए अधिक उत्तम बताया गया है.
तिथि-प्रथमा, द्वितीया, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, द्वादशी, त्रयोदशी व पूर्णिमा तिथि दीपदान के लिए श्रेष्ठ कहलाती है.
नक्षत्र-इन नक्षत्रों में दीपदान करना चाहिए. जैसे-रोहिणी, आर्दा, पुष्य, तीनों उत्तरा, हस्त, स्वाती, विशाखा, ज्येष्ठा और श्रवण.
योग-सौभाग्य, शोभन, प्रीति, सुकर्म, वृद्धि, हर्षण, व्यतीपात और वैधृत योगों में दीपदान करना ज्यादा लाभकारी माना जाता है.
विशेषः-सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण, संक्रान्ति, कृष्ण पक्ष की अष्टमी, नवरात्र एवं महापर्वो पर दीपदान करना विशेष फलदायक मानते हैं.
दीपदान का समय-प्रातः, सायं, मध्यरात्रि तथा अन्य यज्ञकर्म की पूर्णाहूति से पूर्व.
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