अर्थव्यवस्था मजबूत थी, फिर भी गई 50 लाख नौकरियां
अर्थव्यवस्था मजबूत थी, फिर भी गई 50 लाख नौकरियां
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नई दिल्ली : एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स (एसोचैम) ने एक अध्ययन में कहा है कि 2004-2005 और 2009-2010 के दौरान 50 लाख नौकरियां समाप्त हुई। जबकि इस अवधि के दौरान देश की अर्थव्यवस्था मजबूत थी और विकास दर लगातार आठ प्रतिशत बनी रही थी। इस परिणाम से यह प्रश्न खड़ा होता है कि क्या विकास दर को रोजगार सृजन से जोड़ा जाना चाहिए या नहीं। अध्ययन के अनुसार, लगभग 1.30 करोड़ युवा प्रत्येक वर्ष श्रमशक्ति में शामिल हो रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ रोजगार और वृद्धि का फासला अध्ययन की अवधि के दौरान बढ़ा है।

अध्ययन में कहा गया है कि सेवा पर जरूरत से ज्यादा जोर और विनिर्माण की अनदेखी इस बेरोजगारी भरी विकास दर के लिए मुख्यरूप से जिम्मेदार है। भारतीय जनगणना के आंकड़े के अनुसार, रोजगार चाहने वालों की संख्या 2001 और 2011 के बीच प्रतिवर्ष 2.23 प्रतिशत बढ़ी है, लेकिन इसी अवधि के दौरान वास्तविक रोजगार सृजन की दर सिर्फ 1.4 प्रतिशत रही।

एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, "सामाजिक-आर्थिक विषमता से बचने के लिए इस विशाल श्रमशक्ति को फलदायी कामों में व्यस्त रखने की आवश्यकता है।" उन्होंने कहा कि जनसांख्यिकीय तरीके में बदलाव से पता चलता है कि आज का युवा बेहतर शिक्षित है, पूर्व की पीढ़ी की तुलना में संभवत: अधिक कुशल है और अत्यंत आकांक्षी भी है। विशेषज्ञों का कहना है कि विनिर्माण की वृद्धि कई कारणों से आय और रोजगार में वृद्धि की चाबी होगी।(आईएएनएस)

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