औद्योगिक उत्पादन विकास दर और उपभोक्ता महंगाई दर में आई कमी
औद्योगिक उत्पादन विकास दर और उपभोक्ता महंगाई दर में आई कमी
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देश की औद्योगिक उत्पादन विकास दर और उपभोक्ता महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई। यह जानकारी मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों से मिली। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के आधार मापी जाने वाली औद्योगिक उत्पादन विकास दर मार्च 2015 में 2.1 फीसदी रही, जो फरवरी में पांच फीसदी थी। उधर अप्रैल महीने में उपभोक्ता महंगाई दर भी घटकर 4.87 फीसदी दर्ज की गई, जो मार्च में 5.25 फीसदी थी। उपभोक्ता महंगाई दर और औद्योगिक उत्पादन विकास दर में गिरावट से उद्योग जगत को यह उम्मीद बंधी है कि भारतीय रिजर्व बैंक जून में या उससे भी पहले मुख्य नीतिगत दरों में कटौती का फैसला कर सकता है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, पूरे कारोबारी वर्ष 2014-15 के लिए औद्योगिक उत्पादन विकास दर 2.8 फीसदी रही, जो 2013-14 में नकारात्मक 0.1 फीसदी रही थी।

आंकड़ों के मुताबिक, विनिर्माण गतिविधियों में गिरावट के कारण औद्योगिक विकास दर कम रही है। मार्च महीने में विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर 2.2 फीसदी रही, जो फरवरी में 5.2 फीसदी रही थी। खनन क्षेत्र की विकास दर 0.9 फीसदी रही, जो फरवरी में 1.9 फीसदी थी। इसी अवधि में बिजली उत्पादन क्षेत्र की विकास दर दो फीसदी रही, जो फरवरी में 5.9 फीसदी थी। पूरे कारोबारी वर्ष 2014-15 के लिए विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर 2.3 फीसदी, खनन क्षेत्र की विकास दर 1.4 फीसदी और बिजली क्षेत्र के लिए यह 8.4 फीसदी रही।

2013-14 में यह दर क्रमश: नकारात्मक 0.8 फीसदी, नकारात्मक 0.6 फीसदी और 6.1 फीसदी थी। मंगलवार को ही जारी उपभोक्ता महंगाई दर के आंकड़ों के मुताबिक, खाद्य महंगाई दर अप्रैल में 5.11 फीसदी रही, जो मार्च में 6.14 फीसदी थी और अप्रैल 2014 में 9.21 फीसदी थी। उद्योग जगत ने आंकड़ों का स्वागत किया, हालांकि उच्च ब्याज दर और अवसंरचना संबंधी बाधाओं को दूर करने की भी आवाज उठाई। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की अध्यक्ष ज्योत्स्ना सूरी ने कहा, "2014-15 में विनिर्माण क्षेत्र में सकारात्मक वृद्धि देखना उत्साहवर्धक है, लेकिन यह कम ही है।"

उन्होंने कहा, "उच्च ब्याज दर, अवसंरचना बाधाएं, घरेलू और वैश्विक स्तर पर कम मांग चिंता पैदा करने वाले हैं और इनका कारोबारी क्षेत्र पर आने वाले महीनों में प्रभाव पड़ते रहने की संभावना है।" ज्योत्स्ना ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में साधारण तौर पर बेहतर माहौल बना है और उम्मीद है कि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का फायदा मिलेगा। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने कहा कि औद्योगिक उत्पादन विकास दर सरकार द्वारा किए गए सुधार कार्यो के अनुरूप नहीं है।

पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष आलोक बी. श्रीराम ने कहा, "गांवों में मांग बढ़ाए जाने की जरूरत है, जो कई कारणों से कम है।" श्रीराम ने कहा, "इसलिए इस समय अर्थव्यवस्था में संरचनागत बाधाएं जमीनी स्तर पर दूर की जानी चाहिए।" श्रीराम ने हालांकि उपभोक्ता महंगाई दर में गिरावट का स्वागत करते हुए रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दरें घटाए जाने की उम्मीद जताई।

एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने कहा कि सरकार को जमीनी स्तर पर सुधार जारी रखना चाहिए और नीतियों को लागू करना चाहिए, ताकि विनिर्माण क्षेत्र पूरी क्षमता के साथ विकास करे और रोजगार बढ़े। एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, "चैंबर का मानना है कि विकास की गति जारी रखने के लिए यह जरूरी है। बिजली, बुनियादी और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु क्षेत्र में तेजी लाने के लिए लगातार कोशिश किए जाने की जरूरत है।"

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