नई दिल्ली: सवर्णों को आरक्षण देने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने लोकसभा में संविधान संशोधन बिल प्रस्तुत कर दिया है. इस पर शाम 5 बजे से बहस शुरू हो चुकी है. इस पर बहस में मोदी सरकार को कई छोटे और महत्वपूर्ण दलों ने समर्थन दिया है. इनमें एनसीपी, सपा, बसपा जैसे राजनितिक दल शामिल हैं.
बर्फी और जलेबी को हराकर 'गुलाब जामुन' बना पाकिस्तान की राष्ट्रीय मिठाई
वहीं कांग्रेस और ओवैसी की एआईएमआईएम जैसी पार्टियों ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है. इस मुद्दे पर होने वाली बहस में सरकार की तरफ से अरुण जेटली, निशिकांत दुबे और नंद किशोर चौहान शामिल होंगे. उल्लेखनीय है कि मोदी कैबिनेट ने सोमवार को सवर्ण जातियों के आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों के लिए शिक्षा और रोजगार में 10 प्रतिशत का आरक्षण देने का ऐलान किया था, लेकिन इस आरक्षण को लागू करने के लिए केंद्र सरकार को भारतीय संविधान में संशोधन करना जरुरी होगा, क्योंकि प्रस्तावित एससी, एसटी और ओबीसी को मिल रहे आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा के अतिरिक्त लागू किया जाएगा.
सप्ताह के दूसरे दिन भी गिरावट के साथ शुरू हुआ शेयर बाजार
इस आरक्षण के लागू होने पर, यानी ‘‘आर्थिक रूप से कमजोर’’ तबकों के लिए आरक्षण लागू होने पर यह आंकड़ा 10 प्रतिशत बढ़कर 60 प्रतिशत हो जाएगा, जिसकी अनुमति संविधान में नहीं है. इस प्रस्ताव पर अमल के लिए संविधान संशोधन विधेयक संसद से पास कराने की आवश्यकता होगी, क्योंकि संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के लिए कोई प्रावधान नहीं है. इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में अनिवार्य संशोधन करने होंगे.
खबरें और भी:-
बैंकों की देशव्यापी हड़ताल ने कामकाज जारी रखेंगे ये बैंक