सुप्रीम कोर्ट : मौत की सजा पर गरिमा के साथ करे अमल
सुप्रीम कोर्ट : मौत की सजा पर गरिमा के साथ करे अमल
Share:

नई दिल्ली : 2008 में उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में 10 महीने के बच्चे सहित परिवार के सात सदस्यों को मौत कर घाट उतरने के जुर्म में मौत की सजा काट रहे शबनम और उसके प्रेमी सलीम को फांसी देने के लिए जारी वारंट को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया। अदालत का कहना है कि मौत का वारंट अनिवार्य दिशानिर्देशों का पालन किए बगैर ही जल्दबाजी में जारी किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अमरोहा के सत्र न्यायाधीश ने दोनों दोषियों की फांसी की सजा की पुष्टि होने के छह दिन बाद ही 21 मई को जल्दबाजी में दोनों की सजा पर जल्द अमल के लिए वारंट जारी कर दिए था। 15 मई को हुए इस फैसले के खिलाफ दोषियों को 30 दिन के अंदर पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए भी अदालत ने अवसर नहीं दिया।

न्यायाधीश एके सीकरी और उदय यू ललित की अवकाशकालीन पीठ ने बुधवार को कहा, सत्र अदालत ने दोषियों को उपलब्ध कानूनी उपाय खत्म होने का इंतजार किए बिना ही सजा पर अमल के लिए वारंट पर जारी कर दिए। यह बिलकुल सही नहीं है। पीठ ने कहा, मौत की सजा की पुष्टि होने के साथ ही संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए जीने का अधिकार खत्म नहीं हो जाता। इसीलिए मौत की सजा पर अमल भी पूरी गरिमा के साथ करना होगा। सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने इस बात से सहमति व्यक्त की कि वारंट गलती से जारी हो गया है। क्योंकि इस वारंट में निर्धारित जरूरी दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया गया है।

केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त साॠलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने आश्वासन दिया कि मौत की सजा पर अमल से संबंधित दिशानिर्देशों और प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया जाएगा। शबनम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने कहा कि 15 मई के फैसले पर पुनर्विचार के लिए शीघ्र ही याचिका दायर की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस याचिका की सुनवाई खुली अदालत में होगी। सलीम और शबमन प्रेमी थे और वे शादी करना चाहते थे, लेकिन महिला का परिवार इस रिश्ते के विरोध में थे। यूपी के अमरोहा में 15 अप्रैल, 2008 को दस महीने के बच्चे सहित शबनम ने प्रेमी के साथ मिलकर परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी थी। कुछ दूरी पर खड़ी 'मौत' को लेकर बावनखेड़ी की खलनायिका दहशत में दिखाई दी। उसके चेहरे पर मौत का खौफ स्पष्ट देखा जा सकता था।

दायर याचिका पर फैसला जानने के लिए वह दिन भर टीवी पर निगाह जमाए रही। यही नहीं बिजली गुल होने पर उसने इनवर्टर से न्यूज चैनलों से जानकारी जुटाई। देर शाम डेथ वारंट निरस्त होने की जानकारी मिली। इसके बाद ही उसके चेहरे पर कुछ रंगत दिखाई दी। 15 अप्रैल 2008 को शबनम ने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर पुरे परिवार के सात लोगों का कत्ल कर दिया था। हत्या को अंजाम कुल्हाड़ी द्वारा दिया था। दस महीने के भतीजे को भी नहीं बख्शा था। सुप्रीम कोर्ट ने शबनम व सलीम को फांसी की सजा मुकर्रर की है। दिल्ली की संस्था डेथ पेनाल्टी लेटीगेशन ने फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील किए जाने संबंधी याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है। इधर निचली अदालत से शबनम व सलीम के खिलाफ डेथ वारंट भी जारी कर दिया गया। इसमें तारीख व स्थान निश्चित नहीं था।

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। फैसले की जानकारी के लिए शबनम सुबह से ही टेलीवीजन पर निगाहे जमाए रही। यही नहीं उसने बिजली जाने पर टीवी बंद न हो, इसके लिए इनवर्टर की व्यवस्था जेल प्रशासन द्वारा करवाई थी। जेल सूत्रों के मुताबिक शबनम के चेहरे पर सुबह से ही खौफ देखा जा सकता था। बैरक में बंद अन्य महिलाओं ने सीरियल देखने की कोशिश की, मगर शबनम ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया। किसी को प्यार से तो किसी को डपटकर टीवी का रिमोट अपने पास ही रखा। इस दौरान उसने कलेजे के टुकड़े ताज को भी कई बार झिटका। शाम को डेथ वारंट निरस्त होने की सूचना मिलने पर उसने राहत की सांस ली। साथी महिलाओं से भी उसने गलत व्यवहार के लिए क्षमा मांगी। वहीं ताज को भी उसने कई बार सीने से चिपकाकर दुलारा।

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -