पुण्यतिथि विशेष: दबे-कुचले मजदूरों की आवाज़ बनकर उभरे थे पूर्व राष्ट्रपति वी.वी.गिरी
पुण्यतिथि विशेष: दबे-कुचले मजदूरों की आवाज़ बनकर उभरे थे पूर्व राष्ट्रपति वी.वी.गिरी
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आज भारत के पूर्व राष्ट्रपति वी.वी.गिरी की पुण्यतिथि है। वे देश के चौथे राष्ट्रपति थे। वी.वी. गिरी का पूरा नाम वराहगिरी वेंकट गिरी था। उन्होंने मजदूरों के कल्याण के लिए तत्परता से कार्य किया। श्रमिक आंदोलनों में हिस्सा लिया। इसके अलावा राष्ट्रीय आंदोलनों में भी उनकी सशक्त भागीदारी थी। बता दें कि राष्ट्रपति का पद, भारत का सर्वोच्च संवैधानिक पद है। वराहगिरी वेंकटगिरी का जन्म ओडिशा के गंजम जिले के ब्रह्मपुर के अंतर्गत आने वाले एक गाँव हुआ था। उनके पिता का नाम वी.वी. जोगिया पंतुलु था। 

वे एक सफल वकील और जाने माने राजनीतिक कार्यकर्ता थे। वी.वी. गिरी की माता ने भी असहयोग आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। वेंकटगिरी की प्रारंभिक शिक्षा बेहरामपुर में हुई। वर्ष 1913 में कानून की शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्होंने आयरलैंड जाकर एक कॉलेज में प्रवेश लिया। वर्ष 1916 में उन्होंने आयरलैंड के ही एक आंदोलन में हिस्सा लिया, जो श्रमिक अधिकारों पर केंद्रित था। इस आंदोलन में सक्रिय होने की वजह से उन्हें कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया। भारत लौटने के बाद वी.वी. गिरी, मजदूरों से संगठनों में सक्रिय हो गए। उन्होंने कई मजदूर आंदोलनों में हिस्सा लिया। वे श्रमिक से संगठन के महासचिव चुने गए। वर्ष 1922 तक वी.वी. गिरि श्रमिकों के हित में कार्य करने वाले, एन.एम. जोशी के एक विश्वसनीय सहयोगी बन गए। 

उन्होंने श्रमिक वर्ग की भलाई के लिए, कार्य कर रहे संगठनों के साथ खुद को जोड़ा। ट्रेड यूनियन आंदोलन के लिए अपनी प्रतिबद्धता और मेहनत की वजह से, वे आल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के अध्यक्ष चुने गए। 1937-39 और 1946-47 के बीच वो मद्रास सरकार में श्रम, उद्योग, सहकारिता और वाणिज्य विभागों के मंत्री रहे। उसके बाद भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वे जेल भी गए। राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के इंतकाल के बाद देश में चुनाव हुए। वी.वी. गिरी ने राष्ट्रपति पद के लिए निर्दलीय चुनाव लड़ा था। वे चुनाव में जीते भी और इस तरह भारत के चौथे राष्ट्रपति बने।

उन्हें मजदूरों के उत्थान और देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाज़ा गया। 85 वर्ष की उम्र, 24 जून 1980 को में वी.वी. गिरी का मद्रास में देहांत हो गया। वे अच्छे लेखक और वक्ता भी थे। उन्होंने भारतीय उद्योग और औद्योगिक समस्याओं से संबंधित पुस्तक भी लिखी थी। भारतीय डाक विभाग ने उनके सम्मान में टिकट भी जारी किया था। श्रमिक कल्याण के लिए कार्य करने वाले राष्ट्रपति वी.वी. गिरी हमेशा याद किए जाएंगे।

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