देश के मशहूर शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की आज पुण्यतिथि है. 21 मार्च 1916 को बिहार के डुमरांव में एक बिहारी मुस्लिम परिवार में जन्मे उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की शहनाई की धुन का दीवाना आज भी हर शख्स है. आइए आज उनकी पुण्यतिथि पर जानते हैं 5 ऐसी बातें, जो शायद आप नहीं जानते होंगे:-
- बिस्मिल्लाह खां का बचपन का नाम क़मरुद्दीन था. वे अपने माता-पिता के दूसरे पुत्र थे. चूंकि उनके बड़े भाई का नाम शमशुद्दीन था इसलिए उनके दादा रसूल बख्श ने कहा 'बिस्मिल्लाह' जिसका अर्थ था 'अच्छी शुरुआत'.
- बिस्मिल्लाह खां को संगीत विरासत में मिला था क्योंकि उनके खानदान के लोग दरवारी राग बजाने में पारंगत थे. उनके पिता बिहार की डुमरांव रियासत के महाराजा केशव प्रसाद सिंह के दरबार में शहनाई वादन करते थे.
- 14 वर्ष की आयु में पहली बार इलाहाबाद के संगीत परिषद् में बिस्मिल्लाह खां ने शहनाई वादन का कार्यक्रम किया. जिसके बाद से वह कम समय में प्रथम श्रेणी के शहनाई वादक के रूप में उभरकर सामने आए.
- उस्ताद बिस्मिल्लाह खान को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण, तानसेन पुरस्कार से नवाज़ा जा चुका है, वर्ष 2001 मे उन्हें भारत का सर्वोच्च सम्मान 'भारतरत्न' से सम्मानित किया गया.
- 15 अगस्त 1947 को देश की स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर लालकिले पर फहराते तिरंगे के साथ बिस्मिल्लाह खान की शहनाई ने आजाद भारत का स्वागत किया था. इसके लिए उन्हें स्वयं आज़ाद भारत के प्रथम पीएम जवाहर लाल नेहरू ने शहनाई वादन के लिए आमंत्रित किया था.
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