डेथ एनिवर्सरी : पंचम दा हमेशा याद आएंगे
डेथ एनिवर्सरी : पंचम दा हमेशा याद आएंगे
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सिनेमा जगत के महान संगीतज्ञ पंचम दा यानि राहुल देव बर्मन की आज डेथ एनिवर्सरी है आज ही के दिन 4 जनवरी 1994 में आर डी बर्मन का निधन मुम्बई में हुआ था. अगर उन्हें सिनेमा जगत में संगीत का गुरु भी कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, यदि आज वे जीवित होते तो बॉलीवुड में संगीत का एक अलग ही मुकाम होता. पंचम दा का जन्म दूसरे विश्व युद्ध का प्रारंभिक चरण के दौरान 27 जून 1939 को हुआ था, इनके पिता भी महान संगीतज्ञ थे और अपने पिता से संगीत की सिख लेकर इन्होने भी अपना जीवन संगीत को समर्पित कर दिया.

बताया जाता है की उस ज़माने के मशहूर अभिनेता रहे अशोक कुमार ने आर डी बर्मन को गोद में उठाया तो वह रोने लगे तब दादा मुनि अशोक कुमार ने उनके पिता सचिन दा से कहा कि यह तो रोता भी पंचम में है, इसलिए इसे पंचम कहेंगे और स्वयं सचिन दा ने उन्हें हमेशा पंचम कहकर ही पुकारा, तब से उनका नाम पंचम दा मशहूर हो गया. पंचम दा को बचपन से ही संगीत से बहुत लगाव था इस कारण से उनके पिता एस डी बर्मन हमेशा ही उन्हें अपने साथ रखते थे.

और इन्ही कारणों से पंचम दा को बहुत छोटी उम्र में ही लोकगीतों, वाद्यों और आर्केस्ट्रा की समझ हो गई थी. लेकिन जब एसडी फिल्म आराधना का संगीत तैयार कर रहे थे, तब वे काफी बीमार थे. तब आरडी ने बड़ी समझदारी से उनका काम संभाला और इस फिल्म की अधिकतर धुनें उन्होंने ही तैयार की. लेकिन आरडी को बड़ी सफलता मिली फिल्म अमर प्रेम से. चिंगारी कोई भड़के और कुछ तो लोग कहेंगे जैसे यादगार गीत देकर उन्होंने साबित किया कि वे भी प्रतिभाशाली हैं. बताया जाता है की किशोर कुमार और आशा भोसले आरडी के पसंदीदा गायक-गायिका रहे हैं. और उन्ही के साथ पंचम दा ने अपने अधिकतर गाने कंपोज किये.

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