15 घंटों तक सड़ता रहा माता पिता का शव, लेकिन बच्चे को नहीं मिली मदद
15 घंटों तक सड़ता रहा माता पिता का शव, लेकिन बच्चे को नहीं मिली मदद
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कोविड की दहशत ने हमारे सामाजिक ताने-बाने को समाप्त कर दिया है। लोग इस कदर डरे हुए हैं कि आपदा के वक़्त किसी की सहायता करने के लिए भी तैयार नहीं हैं। बुराड़ी क्षेत्र में लक्ष्मण तिवारी नामक युवक के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उसका पूरा परिवार कोविड से संक्रमित हो गया। चंद ही घंटों के फासले में माता-पिता दोनों की जान चली गई, पत्नी अस्पताल में जिंदगी के लिए जंग लड़ रही है। जंहा इस बात का पता चला है कि ऐसे वक़्त में लक्ष्मण ने माता-पिता के अंतिम संस्कार के लिए पड़ोसियों व रिश्तेदारों से सहायता मांगी तो कोई उनकी सहायता को सामने नहीं आया। 15 घंटे तक घर में शव पड़े रहे। पुरानी दिल्ली में NGO चलाने वाले सादिक ओर इर्तिजा को पता चला तो उन्होंने किसी तरह पुलिस पर दबाव बनाकर बुजुर्ग दंपती के शव का अंतिम संस्कार किया गया।

रिपोर्ट्स के अनुसार मूलरूप से गाजीपुर, यूपी के रहने वाले लक्ष्मण तिवारी अपने परिवार के साथ 71-72, शक्ति एंक्लेव बुराड़ी में रहते हैं। इनके परिवार में 80 वर्षीय पिता, 67 वर्षीय माता के अलावा पत्नी और 4 साल वर्ष का बेटा है। बीते कुछ दिनों से घर में सभी की तबीयत खराब थी। तबीयत अधिक बिगड़ चुकी है तो लक्ष्मण की पत्नी को बुराड़ी के एक अस्पताल में भर्ती किया जा चुका है।

घर में माता-पिता की तबीयत भी बिगड़ी थी। सोमवार अचानक मां की ऑक्सीजन कम होने लगी। शाम 5 बजे पहले मां की जान चली गई, देर रात एक बजे पिता भी चल बसे। खुद कोविड पॉजिटिव होने के उपरांत लक्ष्मण ने लोगों से सहायता मांगी। पड़ोसी और रिश्तेदार कोई भी सहयता को तैयार नहीं हुए। NGO चलाने वाले इर्तिजा कुरैशी और सादिक अहमद को पता चला तो वह लक्ष्मण के घर पहुंचे। एंबुलेंस चालकों से बातचीत की गई तो इन लोगों ने निगम बोध घाट शव पहुंचाने के 25 हजार रुपये की मांग कर रहे है। पुलिस ने भी हाथ खड़े कर दिए। सुबह के वक़्त  मीडिया और दूसरे लोगों के दबाव में पुलिस सहायता को तैयार हुई। हालांकि पुलिस अधिकारी ऐसे आरोपों से मना कर रहे हैं। जंहा इस बारें में उनका कहना है कि सुबह नौ बजे उनको सूचना मिली। मौके पर बुराड़ी थाने के ASI सुखबिर और सिपाही प्रदीप को भेजा गया। इन लोगों ने शवों को निगम बोध घाट पहुंचाने का इंतजाम किया। जिसके उपरांत खुद लक्ष्मण तिवारी ने माता-पिता की अंतिम क्रियाकर्म किया।

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