नई दिल्ली : भारत द्वारा मोस्टवांटेड आरोपियों में शामिल किए गए अंडरवर्ल्ड डाॅन दाउद इब्राहिम के मामले में हाल ही में इस बात का खुलासा हुआ है कि वर्ष 1993 में मुंबई में हुए बम धमाके के तीन महीने बाद ही दाउद, सीबीआई के सामने आत्मसमर्पण करना चाहता था मगर कुछ कारणों से सीबीआई ने उसकी बात नहीं मानी। हाल ही में यह बात सीबीआई अधिकारी नीरज कुमार ने अपनी एक किताब के बारे में चर्चा करते हुए मीडिया के बीच कही।
सीबीआई अधिकारी नीरज कुमार ने अपने 37 वर्ष के कैरियर के अंतर्गत की जाने वाली 10 बड़ी जांचों के दौरान कहा कि वे एक किताब लिखव रहे हैं। इसी किताब में वे महत्वपूर्ण खुलासा करेंगे। उन्होंने कहा कि किताब में दाउद को लेकर भी महत्वपूर्ण जानकारी होगी। यही नहीं एक अंग्रेजी अखबार को दिए गए साक्षात्कार के दौरान उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि जून 1994 में तीन बार दाउद इब्राहिम से चर्चा की।
इस दौरान दाउद उसके सामने आत्मसमर्पण करने का विचार कर रहा था मगर उसे एक चिंता लगी हुई थी कि यदि वह भारत वापस लौट आया तो गैंग वाॅर में उसे खत्म किया जा सकता है। मगर उसे सुरक्षा के लिए आश्वस्त किया गया और कहा गया कि उसकी सुरक्षा सीबीआई की जिम्मेदारी होगी। उन्होंने कहा कि तत्कालीन पीवी नरसिंहा राव की सरकार ने इस मामले में उनके द्वारा दाउद से चर्चा करने के सिलसिले को ही बंद करवा दिया।
उन्होंने कहा कि दाउद उनसे चर्चा करना चाहता था मगर वह चर्चा नहीं कर पाया। क्योंकि इसकी अनुमति नहीं दी गई। वर्ष 2013 में दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पद से सेवानिवृत्त होने वाले कुमार को मुंबई बम धमाके की जांच का नेतृत्व सौंपा गया। उल्लेखनीय है कि 12 मार्च 1993 को मुंबई में 13 धमाके हुए थे। जिसमें करीब 257 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी और लगभग 700 लोग घायल हो गए थे।