हेडली ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए किए कई खुलासे
हेडली ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए किए कई खुलासे
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मुंबई : 26/11 को हुए आतंकी हमले का दोषी आतंकी डेविड कोलेमन हेडली की मुंबई की अदालत में पेशी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई। सीनियर लॉयर उज्जवल निकम ने बताया कि हेडली की गवाही सुबह करीब 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक हुई। इस बार की यह गवाही दो दिनों तक चलेगी। देश में पहली बार किसी आतंकी की गवाही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हो रही है।

हेडली को मुंबई हमले के मामले में गवाह बनाया गया है। अपनी गवाही में हेडली ने कई बड़े खुलासे किए। इस गवाही में उसने अपने बचपन से लेकर आतंकी संगठन से जुड़ने तक की कहानी बताई। हेडली के वकील महेश जेठमलानी ने बताया कि हेडली ने कहा है कि उसने लश्कर के लिए जो भी काम किया वो हाफिज सईद के कहने पर किया। दरअसल हेडली सईद के भाषणों से काफी प्रभावित था।

हेडली की कहनी-

मैं और तहवुर राणा 5 साल तक क्लासमेट थे। राणा ने ही मेरी भारत का वीजा दिलाने में मदद की। हम दोनों की मुलाकात पंजाब प्रांत के मिलिट्री स्कूल में हुई। साजिद मीर और मेजर इकबाल नाम के शख्स मेरा भारत का वीजा देखकर काफी खुश हुए। मीर मुझे वीजा प्राप्त करने के तरीके बताता रहता था। अली ने मुझे आईएसआई के मेजर इकबाल से मिलवाया था।

साजिद मीर हम लोंगों से चलचलोएटयाहूडॉटकॉम के जरिए संपर्क में रहता था। मेजर अली के लगा कि मैं भारत के खिलाफ खुफिया जानकारी लाने में मदद कर सकता हूं। पूछताछ के दौरान मैंने उन्हें बताया कि मेरा भारत में एक ऑफिस है। गिरफ्तारी के बाद जब मेजर अली मुझसे पूछताछ करने आए तो उन्होने मेरे ऑफिस से भारतीय साहित्य बरामद किए।

मुझे और रिटायर्ड मेजर अब्‍दुर रहमान पाशा को पाक-अफगान सीमा पर लांडी कोटल से गिरफ्तार किया गया था क्‍योंकि मैं एक विदेशी की तरह लग रहा था। पहली कोशिश सितंबर 2008 में हुई थी लेकिन बोट समुद्र में एक चट्टान से टकराकर टूट गई। इसमें हथियार को बर्बाद हो गए लेकिन हमलावर बच गए थे। दूसरी कोशिश इसके एक महीने बाद अक्‍टूबर 2008 में हुई थी। इसमें भी वही हमलावर शामिल थे जो पहली बार हमला करने आए थे लेकिन यह हमला असफल रहा था। 26/11 से पहले मुंबई पर दो बार हमले की कोशिश हुई थी लेकिन दोनों ही असफल रही थी।

मेरे वीजा एप्‍लीकेशन में मेरे जन्मस्थान के अलावा सारी जानकारी झूठी है। 26/11 के हमले के बाद मैं 7 मार्च 2009 को लाहौर से भारत आया। भारत के मेरे 8 दौरों में से 7 के लिए मैं पाकिस्तान से आया था जब कि मेरा एक दौरा यूएई से हुआ था। पासपोर्ट मिलने के बाद मैं 8 बार भारत आया जिनमें से 7 बार मुंबई गया। साजिद मीर ने मुझे इस दौरान मुंबई का एक साधारण वीडियो बनाने के लिए कहा। भारत में घुसने के लिए मैंने अपना नाम बदला और नाम बदलने के ठीक बाद मैंने पाकिस्तान में लश्‍कर के साजिद मीर को इसकी सूचना दी।

लश्‍कर-ए-तैयबा के साजिद मीर की मदद से मेरा फर्जी पासपोर्ट बनने के बाद मैं 8 बार भारत आया था और मेरा अंतिम भारत दौरान 2009 में हुआ था। मैं लश्‍कर का एक सच्चा समर्थक था। दिल्ली में उपराष्ट्रपति आवास, इंडिया गेट और सीबीआई कार्यालय तक की रेकी की थी, जिसमें पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई ने मदद की थी और पैसे भी दिए थे। लश्कर के प्रमुख जकी-उर-रहमान लखवी का हैंडलर आईएसआई का ब्रिगेडियर रिवाज था। लखवी की गिरफ्तारी के बाद आईएसआई का प्रमुख शुजा पाशा उससे मिलने भी गया था।

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