हेडली ने कहा, सिद्धिविनायक से रक्षा सूत्र खरीदे ताकि आतंकी हिंदू लगे
हेडली ने कहा, सिद्धिविनायक से रक्षा सूत्र खरीदे ताकि आतंकी हिंदू लगे
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मुंबई : पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक और मुंबई हमले में आतंकियों की मदद करने वाला डेविड कोलेमैन हेडली का शुक्रवार को भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बयान दर्ज किया गया। उसने बताया कि मंदिर से 15-20 धागे खरीदे गए थे, ताकि आतंकी उसे पहनकर हिंदू लगे और उन पर किसी को शक न हो।

हेडली ने कहा कि मैंने सिद्धिविनायक मंदिर जाकर 15-20 रिस्ट बैंड खरीदे और उसे ले जाकर पाकिस्तान में साजिद मीर को दिए। इसके बाद मीर ने मुझे बधाई दी और कहा कि तुमने बहुत अच्छा काम किया। मैं गेटवे ऑफ इंडिया, वर्ली और कफ परेड गया। इन सब जगहों पर जाकर ये देखने की कोशिश की कि आतंकियों को कहां रुकना चाहिए। आतंकियों को मुंबई एयरपोर्ट को भी निशाना बनाना था, लेकिन जब हमले के दौरान वो छूट गया तो साजिद मीर बहुत नाराज हुआ।

लखवी ने मुझसे कहा कि भारत पर हमले बेहद जरुरी है। भारत ने पाकिस्तान पर बहुत हमले कराए है। मेजर इकबाल ने मुझे भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के इम्पलॉइज को आईएसआई से जोड़ने को कहा था। मैं बार्क गया वहां का वीडियो भी बनाया। इसे मेजर इकबाल और साजिद मीर को दिया। मेजर इकबाल ने मुझसे मुंबई के नेवल एयर स्टेशन का सर्वे करने को भी कहा था। इसके अलावा भी हेडली ने कई अन्य खुलासे किए।

इशरत जहां के संबंध में हेडली ने कहा कि लश्कर-ए-तैयबा का एक ऑपरेशन था जिसमें किसी नाके पर पुलिस को शूट करने की साजिश थी। इसमें लश्कर-ए-तैयबा की महिला इशरत जहां शामिल थी। हेडली को कब और किसने फंडिंग की, इसके जवाब में हेडली ने कहा कि जब मैं 11 अक्टूबर, 2006 में मुंबई में था मुझे तहव्वुर राणा से 66,605 रुपए मिले थे। बाद में उसने 500 यूएस डॉलर भी दिए थे। फिर 30 नवंबर को 17, 636 रुपए और 4 दिसंबर, 2006 को 1000 यूएस डॉलर तहव्वुर राणा ने दिए थे।

भारत आने से पहले मुझे मेजर इकबाल ने 25,000 यूएस डॉलर और साजिद मीर ने 40,000 पाकिस्तानी रुपए दिए थे। अब्दुर रहमान पाशा से 18,000 रुपए मिले थे। मुंबई में हेडली का ऑफिस ताड़देव इलाके के एससी मार्केट में था। हेडली इस ऑफिस को हमले के बाद बंद करना चाहता था, लेकिन राणा ने मना किया।

हेडली ने यह भी बताया कि हमले के दौरान आतंकियों का कंट्रोल रुम कराची में था, जहां आतंकी लगातार अपने आकाओं के संपर्क में थे। हेडली ने कहा कि जब राणा, साजिद मीर और मेजर इकबाल एक-दूसरे को मेल भेजते थे, तो कोड लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता था।

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