बेटियों ने दी अपनी मां की अर्थी को मुखाग्नि
बेटियों ने दी अपनी मां की अर्थी को मुखाग्नि
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दुर्ग: आज की बेटियां किसी से कम नहीं मानी जाती है. एक ऐसा ही किस्सा हम आपको बताने जा रहे है. जहां परंपराओं को तोड़कर एक नई परंपरा बनाने है. बेटियों ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है. उन्होंने अपनी मां की मृत देह को सजा धजाकर अंतिम यात्रा के लिए तैयार किया. मां को कंधे पर उठाकर मुखाग्नि दी. यह देखकर मौजूद लोगों की आंखें भर आई. बेटियों ने मां को पूरे रस्मों रिवाज के साथ अंतिम विदाई दी.

भारतीय परंपरा के अनुसार बेटे ही माता-पिता को मुखाग्नि देते रहे हैं, लेकिन अब यह परंपरा टूट गई है. यह सवाल भी पीछे छूट चुका है कि बेटे के बिना माता-पिता को मुखाग्नि कौन देगा, लेकिन अब यह बातें बीते जमाने की हो गई. दुर्ग की राजपूत बहनों ने अपनी मां को मुखाग्नि देकर समाज में एक मिसाल कायम की है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर निकिता और मुक्ता द्वारा पेश किए उदाहरण से बड़ा और कुछ नहीं हो सकता हैं.

रविवार को जहां एक तरह पूरा देश और दुनिया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहा था, तो दूसरी ओर कादंबरी नगर दुर्ग की दो बहनें निकिता राजपूत और मुक्ता राजपूत रुढ़ीवादी परंपरा को तोड़कर एक नई परंपरा गढ़ रही थी. वहीं, निकिता और मुक्ता ने मां को रविवार को मुखाग्नि दी. दोनों बहनों ने समाज की पुरानी कुरीति को तोड़ते हुए बराबरी का संदेश दिया है. दोनों ने मिलकर संयुक्त रूप से हिन्दू रीति-रिवाजों के मुताबिक मां को अंतिम विदाई दी.

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