नई दिल्ली: सेना के दो अधिकारियों की बेटियों ने सुरक्षा बलों के जवानों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए और जम्मू-कश्मीर में अनियंत्रित भीड़ से रक्षा बलों के कर्मियों के लिए एक नीति बनाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, क्योंकि वे जवान अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। रिपोर्टों के अनुसार, दोनों लड़कियों ने जम्मू और कश्मीर में ड्यूटी के लिए तैनात सशस्त्र बल के जवानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर सरकारों से भी नोटिस मांगने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
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19 वर्षीय प्रीति केदार गोखले और 20 वर्षीय काजल मिश्रा की याचिका ने जम्मू-कश्मीर में सेवारत सुरक्षा कर्मियों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए नीति बनाने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों पर पथराव की प्रवृत्ति आम तौर पर देखने को मिलती है वो भी उस वक़्त जब जवान आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में लगे हुए होते हैं।
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ये पत्थरबाज सुरक्षाबलों के ध्यान को हटाने की कोशिश करते हैं और आतंकवादियों को भागने और छिपने में उनकी सहायता करते हैं। याचिका के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की है और केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार को इस सम्बन्ध में नोटिस जारी किए हैं। आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर में फिलहाल राज्यपाल सत्य पाल मलिक के शासन में है।
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