नई दिल्ली : देश ही नहीं विश्व भर में अपनी पहचान रखने वाले आध्यात्मिक गुरू श्रीश्री रविशंकर के कारण पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है। यह दावा किसी ओर ने नहीं बल्कि एनजीटी के विशेषज्ञों की समिति ने किया है। समिति सदस्यों ने बताया है कि यदि श्रीश्री जिम्मेदारी से कार्य करते तो यह नुकसान नहीं होता।
दरअसल मार्च माह में रविशंकर द्वारा संचालित आर्ट आॅफ लिविंग द्वारा वल्र्ड कलचर फेस्टिवल कार्यक्रम का आयोजन यमुना नदी के किनारे किया गया था। विशेषज्ञों की समिति ने यह पाया है कि कार्यक्रम के कारण न केवल पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है वहीं लंबे समय तक इसकी भरपाई होना मुश्किल है।
बताया गया है कि पर्यावरण को होने वाले नुकसान की जांच करने के लिये एनजीटी अर्थात नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सात सदस्यीय विशेषज्ञों की समिति गठित की थी। समिति ने हर तरह से जांच करते हुये अपनी रिपोर्ट हाल ही में सौंपी है। सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि यमुना नदी के दाहिनी किनारे पर बीचो-बीच स्थित फ्लडप्लेन इलाका पूरी तरह से बर्बाद हो गया है वहीं इस कारण जिस तरह से पर्यावरण को नुकसान हुआ है, उसे लंबे समय तक पूरा नहीं किया जा सकेगा।
समिति सदस्यों ने रिपोर्ट मेें बताया है कि जिस मैदान में कार्यक्रम हुआ था, वह अब न तो समतल रह गया है और न ही वहां लगे पौधे या वृक्ष ही सुरक्षित बचे हैै। पानी की निकासी जिस स्थान से होती थी, उन स्थानों को भी लगभग नष्ट कर दिया गया है। गौरतलब है कि श्रीश्री रविशंकर द्वारा किये गये आयोजन को लेकर उस समय विरोध हुआ था वहीं मीडिया में भी कार्यक्रम स्थल को लेकर समाचारों का प्रकाशन प्रमुखता के साथ हुआ था। इस मामले में श्रीश्री रविशंकर और उनकी संस्था के पदाधिकारियों ने फिलहाल किसी टिप्पणी करने से इनकार किया है।