नई दिल्ली : अतीत में किसी सुरक्षाकर्मी द्वारा की गई मदद के 58 साल बाद उस व्यक्ति से मिलने का सुकून क्या होता है, इसे तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा से पूछना चाहिए, जो उस समय भावुक हो गए, जब वह रविवार को 1959 में खुद के भारत आने के दौरान सुरक्षा प्रदान करने वाले असम राइफल्स के जवान से गले लगकर मिले. बीते लम्हों को याद कर दोनों बेहद खुश हुए. बता दें कि तिब्बत पर चीन के कब्जे के बाद दलाई लामा अपने समर्थकों के साथ मार्च, 1959 में भारत आए थे, तब नरेन चंद्र दास समेत असम राइफल्स के 5 जवानों ने उन्हें सुरक्षा प्रदान की थी.
आपको बता दें कि इन अविस्मरणीय पलों को असम सरकार की ओर से गुवाहाटी में आयोजित नमामि ब्रह्मपुत्र त्यौहार के दौरान दोनों के गले मिलने की तस्वीरें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने भी ट्वीट की हैं. रिजिजू ने लिखा, 'आंसू नहीं रूकते. 58 साल पहले खुद को सुरक्षा देने वाले जवान से गले मिलते दलाई लामा.बेहद भावुक दिखे दलाई लामा ने कहा, थैंकयू वेरी मच. 58 साल पहले मुझे भारत आने में सुरक्षा देने वाली टीम के एक सदस्य से मिलकर मैं बेहद खुश हूं.
वहीं असम राइफल्स की ड्रेस में कार्यक्रम में शामिल हुए 76 वर्षीय नरेन दास ने बताया कि 1959 में दलाई लामा के भारत आगमन के दौरान उन्होंने सुरक्षा प्रदान की थी. 1957 में वह असम राइफल्स में भर्ती हुए थे.दलाई लामा के भारत आगमन के दौरान नरेन दास अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके के लुंगला पास में पदस्थ थे. अतीत में खोए रिटायर्ड जवान ने कहा असम राइफल्स के प्लाटून नंबर 9 के जवान, दलाई लामा को जुथांगबो से लाए थे और हम 5 जवानों को उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी.उनसे बात करने कीअनुमति नहीं थी.हमारी ड्यूटी सिर्फ उन्हें यात्रा के दौरान सुरक्षा प्रदान करने की थी.
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