Apr 21 2016 05:23 PM
धर्मशाला। तिब्बत के 14 वे धर्मगुरू दलाईलामा ने मैकोडगंज में बड़ा महत्वपूर्ण बयान दिया है। दरअसल उन्होंने कहा है कि जीविका और तिब्बती बौद्ध संस्कृति की उन्नति केवल एक व्यक्ति पर ही निर्भर है।
उन्होंने विद्यार्थियों को याद दिलवाया कि गोंपो लुडुप और भगवान बुद्ध की ही तरह महान भारतीय बुद्धिजीवियों ने पुनर्जन्म नहीं लिया। हां इन लोगों की शिक्षाऐं सदियों से जीवित हैं। दरअसल वे भारत और नेपाल क्षेत्र की तिब्बतियन स्कूलों के विद्यार्थियों की कार्यशाला में उपस्थितों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि उनका जन्म फिर से हो यह आवश्यक नहीं है मगर उनकी शिक्षाऐं, शांति और अहिंसा का रास्ता बहुत ही महत्वपूर्ण है। कार्यशाला के दौरान उन्होंने कहा कि वे 21 वीं सदी में शांति का वातावरण देखना चाहते हैं। बौद्ध धर्म तिब्बत के लोगों की संपत्ति है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक तौर पर तिब्बत को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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