मिस्त्री ने खुद को बताया कागजी चेयरमेन
मिस्त्री ने खुद को बताया कागजी चेयरमेन
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मुम्बई : टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद पहली बार साइरस मिस्त्री ने टाटा बोर्ड पर पलटवार करते हुए एक ई-मेल भेजकर रतन टाटा समेत बोर्ड पर कई आरोप लगाए. मिस्त्री ने कहा है कि ग्रुप में उन्हें फ्री हैंड यानी काम की आजादी नहीं थी, उन्हें सिर्फ कागजी या नाम का चेयरमैन बनाकर रखा गया था. मिस्त्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि उन्हें हटाए जाने की वजह से ग्रुप को 1.18 लाख करोड़ का घाटा हो सकता है.

ई - मेल में अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए साइरस ने खुलासा किया कि वोसमूह में थे तो जरूर लेकिन निर्णय लेने में उनकी भूमिका कम थी, क्योंकि उनका रोल कम करने के लिए समूह में निर्णय लेने के लिए वैकल्पिक शक्ति केंद्र बनाए गए थे. दिसंबर 2012 में जब उन्हें चेयरमैन बनाया गया था तो काम करने की पूरी आजादी का वादा किया गया था, लेकिन बाद में शर्तों को बदल दिया गया. मिस्त्री ने चेतावनी दी कि पांच घाटे वाले व्यवसाय चलाने की वजह से टाटा समूह को 1.18 लाख करोड़ का घाटा हो सकता है. साइरस ने कहा उन्होंने नैनो को बन्द करने की भी सिफारिश की थी क्योंकि नैनो का नुकसान 1000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया था, लेकिन इमोशनल कारणों के चलते हम कभी ये बड़ा फैसला कर ही नहीं पाए.

अपने ई-मेल में अपने साथ हुए अन्याय पर अफ़सोस जाहिर करते हुए साइरस ने कहा कि टाटा कंपनी ने मुझे हटाने का फैसला करते वक्त मुझसे सफाई में एक शब्द भी नहीं पूछा. कम से कम मुझे अपनी बात रखने का मौका तो मिलना ही चाहिए था. ये कार्पोरेट इतिहास की इकलौती घटना ही होगी कि आप अपने चेयरमैन को बिना उसका पक्ष जाने हटा दिया. इस मेल में साइरस ने कम्पनी पर और भी आरोप लगाए हैं. इस बीच मंगलवार को दोनों की तरफ से एक-दूसरे के खिलाफ कैविएट दायर होने की भी खबरें सामने आईं है.

अचानक हटाने से शाॅक्ड हैं मिस्त्री

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